18 MAY 2018 AT 22:37

नवेली और अमावस्या की रात
बस क्या मेरी धड़कनो ने जैसे रुख ही बदल लिया था
अनुराग ऐसे जैसे,अनुराग नही कोई और है जो मुझे खूंखार नज़रो से देख रहा था,,अनुराग मुझे देखते देखते बेहोश हो कर गिर गया,और उस दूल्हे की आँखों के इशारे से जैसे कार चल रही थी,मई ये सब देख के झटपटा के भागने लगी,पर कार की तेज़ी ने मुझे टकरा कर गिरा दिया,अब वो आत्मा अनुराग के अंदर आ चुकी थी,अनुराग को होश आया और उस दूल्हे की छाया जैसे विलुप्त हो गई थी,अनुराग को देखकर मैं भागी, अनुराग ने मुझे तो नही पर मेरे दुप्पटे को खिंच लिया ,और मैं फिर गिर पड़ी,.........
मैं कुछ बोल पाती की अनुराग के अंदर समाई हुई आत्मा बोलने लगी डरो नही ,मैं वही हूँ जिसका 59 वर्ष पहले उसकी नवेली के साथ वध कर दिया गया था,
और तुम मेरी प्रेयशी मेरी अर्धांग्नी थी जो अब रिया बन कर इस दुनियां में आई है....तुम्हारी आत्मा को तो उद्धार मिल गया था ,पर मेरी आत्मा आज भी भटक रही है,,,,मैंने पूछा ऐसा क्यूँ तो आत्मा ने आवाज दी ...जब वो वहशी दरिंदे तुम्हारा बलात्कार कर रहे थे,और मैं चुप चाप तुम्हे देख रहा था पर तुम्हारी इज़्ज़्ज़त और तुम्हारी ज़ान नही बचा पाया था,,उसी का श्राप है मुझे जो काली माता ने दिया था;जो लोग साथ फेरे और सात वचन लेके भी अपनी अर्धांग्नी की रक्षा नही कर पाते...उनकी आत्मा इसी तरह तड़पती रहती है...फिर मैंने पूछा अब आपको श्राप से उद्धार कैसे मिलेगा..

- Bindu tiwari