कुछ अश्कों में बहे
कुछ कागज़ों में कहे
जितने भी थे दर्द सारे
कुछ अपनो में बांटे
और बोहत से अकेले सहे
कुछ दर्द तो दूर हुए भी
और कुछ हमेशा साथ भी रहे
जब ज़िंदगी के सफर मैं चला
कुछ दर्द मामूली से मिले
तो कुछ दर्दों के गहरे घाव रहे
और दोस्त ?
कुछ ने पूछा सिर्फ अच्छे वक्त मैं
कुछ बुरे मैं भी साथ रहे
जितने भी थे दोस्त सारे
कुछ आम सी बारिश मैं ही बिछड़ गए
कुछ तूफानों मैं भी साथ रहे
जिंदगी के किस्से मेरे
कुछ अश्कों में बहे
कुछ कागज़ों में कहे
-