बचपन में खेलें नही,जवानी को इधर-उधर गवाँई।बुढ़ापे में अब क्यों पछता रहे,जब राम नाम लेने की बारी है आई।। - BBT...✍🏻
बचपन में खेलें नही,जवानी को इधर-उधर गवाँई।बुढ़ापे में अब क्यों पछता रहे,जब राम नाम लेने की बारी है आई।।
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