Bhawna Omer  
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Joined 2 May 2019


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19 NOV 2024 AT 22:58

सुलह हो भी जाये तो किस काम की,
दिल मानने को तैयार ही नहीं कि शक्श वही पुराना है।

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19 NOV 2024 AT 22:49



बेचैन रहती हैं किताबें अब,
कितने दिल कंप्यूटर के गुलाम जो हो गए ।

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25 MAR 2024 AT 13:47

हम महफ़ूज़ रहें त्योहारों में,
इसीलिए वो सरहद पे गोली झेलते हैं।
ज़रा याद कर लो उन्हें भी,
जो खून से होली खेलते हैं।

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20 MAR 2024 AT 21:39

हार जाऊं कितना जिंदगी से मैं,
एक चेहरा है जो मुझे रोने नहीं देता।

मेरे ख्वाब की खातिर बेच दिए गहने मेरी माँ ने,
वही ख्वाब अब मुझे सोने नहीं देता।

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24 FEB 2024 AT 18:43

कन्यादान हुआ जब वक़्त आया विदाई का,
हँसी खुशी सब काम हुआ, सारी रस्म अदाई का
बेटी के एक सवाल ने बाबुल को झकझोर दिया,
पूछ रही थी पापा क्या सचमुच में मुझको छोड़ दिया
जिस आंगन में खेली जिसको अपना घर कहा,
मेरे पल भर के आँसुओं को जहां किसीने न सहा
क्या इस आंगन में अब मेरा कोई स्थान नहीं,
अब मेरे रोने का क्या किसीको कुछ ध्यान नहीं

बेटी की बातों को सुन पिता नहीं रह सका खड़ा,
उमड़ पड़े आंखों से आंसू बेटी की तरफ दौड़ पड़ा
मां को लगा गोद से मानो कोई सब कुछ छीन चला,
मेरे घर की फुलवारी से कोई सारे फूल बीन चला
छोटा भाई भी कोने में बैठा बैठा सुबक रहा,
उसको कौन करेगा चुप वो कोने में ही दुबक रहा
बेटी के जाने पर घर ने जाने क्या क्या खोया है,
कभी न रोने वाला बाप आज फूट फूट कर रोया है

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19 JAN 2024 AT 9:58

दिल करता है उसे करीब से देखूं,
पर वो करीब आये तो नज़रें उठायी नहीँ जाती ।

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15 MAR 2022 AT 16:39

ख्वाहिशों के शहर सारे अब वीरान से पड़े हैं,
बस ज़िन्दगी जीने की चाह में, सब खामोश से खड़े हैं

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31 JAN 2022 AT 23:56

लड़का है वो,
प्याज़ काटते वक़्त जी भर कर रो लेता है।
वो क्या है ना,
किसी को कुछ बताना नहीं पड़ता,
किसी से कुछ छुपाना नहीं पड़ता।— % &

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31 JAN 2022 AT 23:51

फुटपाथ पर सोने वाले हैरान हैं,
आती जाती गाड़ियों की भीड़ देख कर,
कमबख्त जिनके घर हैं,
वो घर क्यों नहीं जाते?— % &

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31 JAN 2022 AT 23:50

फुटपाथ पर सोने वाले हैरान हैं,
आती जाती गाड़ियों की भीड़ देख कर,
कमबख्त जिनके घर हैं,
वो घर क्यों नहीं जाते?— % &

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