सुलह हो भी जाये तो किस काम की,
दिल मानने को तैयार ही नहीं कि शक्श वही पुराना है।-
Katra katra jal kar khud ko is kaabil banaya hai,
Zarra zarra ... read more
हम महफ़ूज़ रहें त्योहारों में,
इसीलिए वो सरहद पे गोली झेलते हैं।
ज़रा याद कर लो उन्हें भी,
जो खून से होली खेलते हैं।-
हार जाऊं कितना जिंदगी से मैं,
एक चेहरा है जो मुझे रोने नहीं देता।
मेरे ख्वाब की खातिर बेच दिए गहने मेरी माँ ने,
वही ख्वाब अब मुझे सोने नहीं देता।-
कन्यादान हुआ जब वक़्त आया विदाई का,
हँसी खुशी सब काम हुआ, सारी रस्म अदाई का
बेटी के एक सवाल ने बाबुल को झकझोर दिया,
पूछ रही थी पापा क्या सचमुच में मुझको छोड़ दिया
जिस आंगन में खेली जिसको अपना घर कहा,
मेरे पल भर के आँसुओं को जहां किसीने न सहा
क्या इस आंगन में अब मेरा कोई स्थान नहीं,
अब मेरे रोने का क्या किसीको कुछ ध्यान नहीं
बेटी की बातों को सुन पिता नहीं रह सका खड़ा,
उमड़ पड़े आंखों से आंसू बेटी की तरफ दौड़ पड़ा
मां को लगा गोद से मानो कोई सब कुछ छीन चला,
मेरे घर की फुलवारी से कोई सारे फूल बीन चला
छोटा भाई भी कोने में बैठा बैठा सुबक रहा,
उसको कौन करेगा चुप वो कोने में ही दुबक रहा
बेटी के जाने पर घर ने जाने क्या क्या खोया है,
कभी न रोने वाला बाप आज फूट फूट कर रोया है-
दिल करता है उसे करीब से देखूं,
पर वो करीब आये तो नज़रें उठायी नहीँ जाती ।-
ख्वाहिशों के शहर सारे अब वीरान से पड़े हैं,
बस ज़िन्दगी जीने की चाह में, सब खामोश से खड़े हैं-
लड़का है वो,
प्याज़ काटते वक़्त जी भर कर रो लेता है।
वो क्या है ना,
किसी को कुछ बताना नहीं पड़ता,
किसी से कुछ छुपाना नहीं पड़ता।— % &-
फुटपाथ पर सोने वाले हैरान हैं,
आती जाती गाड़ियों की भीड़ देख कर,
कमबख्त जिनके घर हैं,
वो घर क्यों नहीं जाते?— % &-
फुटपाथ पर सोने वाले हैरान हैं,
आती जाती गाड़ियों की भीड़ देख कर,
कमबख्त जिनके घर हैं,
वो घर क्यों नहीं जाते?— % &-