Bhawana Awasthi Tiwari   (भावना तिवारी)
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Joined 23 June 2017


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Joined 23 June 2017
3 MAR 2019 AT 21:36

झरे है मोती जाने कितने इन आँखों से ,
अब इक हंस है... जो इन्हे चुग लेता है !

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2 MAR 2019 AT 21:37

स्वप्न मेरे जीवित भये,तोहरे नयन स्पर्श से
ज्यों अहल्या तर गयी,श्री राम पद स्पर्श से

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23 FEB 2019 AT 20:30

हाथ में तस्बीह लेके सोयी हूँ बरसो तलक,
तब कही जाके तु आने लगा है ख़्वाब में!!

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21 FEB 2019 AT 21:45

तेरी याद ने मुझे ऐसे जकड़ा है
बच्चे ने कोई खिलौना पकड़ा है,

चाँद नही मेरी मुठ्ठी में तो ना सही
जिसमें डूबा वो तालाब अपना है,

तुझसे बात हो इतना बहुत मुझे
बस इक ये छोटा सा सपना है,

डूब रही है रात आहिस्ता आहिस्ता
काटने आँखों में इसे मुझे जगना है,

खुले आसमां में उड़ा करेंगे हम
कि घोंसलों पर साँपो का पहरा है!!

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20 FEB 2019 AT 21:05

मेरे ज़हन का जंगल और तेरी यादों के कुलाँचें,
जैसे गजाला बदहवास कोई,कस्तूरी के पिछे !!

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19 FEB 2019 AT 21:23

पता है तुम्हें कैसे रहते हो तख़य्युल में मेरे,
जैसे धूप रहती है ना, ज़ेहन में परछाई के!!!

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17 FEB 2019 AT 21:41

आईने में अब मुझे दो अक़्स दिखायी पड़ते है,
जिस्म में मेरे अब इक और भी शख़्स रहता है!!

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21 JUL 2019 AT 21:43

संभालिये चक्रव्यूह अपने ज़ेहन का देव!
कि अभिमन्यु से चले आते है ख़्याल मेरे।

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18 JUL 2019 AT 22:05

ज़रा मनुहार कीजिए ना देव !
पता है ना............रूठी हूँ मैं ।

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17 JUL 2019 AT 21:40

देव! डकैती हुई है रात अँखियों में ,
ख़्वाब को अपने ज़रा समझाईयेगा!

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