वो ना हिंदू है, ना मुसलमान है,
वो थोड़ा नादान है, साधारण सी नौकरी चाहने वाला एक आम इंसान है...
उसे नही है फिलहाल अपनी जान का खौफ,
उसे तो बस अपनी थाली में दाल-रोटी का है शौक।
कोई कह गया उसे कि हिन्दुत्त्व खतरे में है,
उसे लगा भूखमरी - गरीबी है एक बड़ा खतरा।
कोई कह गया मुसलमान मार रहा है,
उसने दोस्त को फोन मिलाया और पूछा, "भाई, तू क्या कर रहा है?"
वो गया था बाजार में लेने को तरकारी,
वहा जाकर पता लगा गर्मी से जल गई सारी की सारी...
उसे लगा कि देश की सरकार मेरा कहा सुनेगी,
उसे क्या पता था सरकार बस रैली और प्रचार करेगी...
उसे नही पड़ता फर्क लाउडस्पीकर पर नमाज़ चले या हनुमान चालीसा,
उसे तो बस चाहिए अपनी गाड़ी में पेट्रोल थोड़ा सा।
उसे नही है खौफ तुम भगवा पहने हो या हरा,
वो तो बस कह रहा चिंटू की स्कूल फ़ीस का जुगाड करवा दो जरा...
वो ना हिंदू है, ना मुसलमान है...
अपने परिवार की खुशी चाहने वाला वाला वो एक आम इंसान है।।
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