Bashar Nawaz   (Bashar Nawaz)
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नकारात्मक लेखनी ही अंत मे सकारात्मकता प्रदान करती है।।
Joined 16 August 2017


नकारात्मक लेखनी ही अंत मे सकारात्मकता प्रदान करती है।।
Joined 16 August 2017
11 JAN AT 13:38

जो सबक़ नहीं था किताबों मे,
उसे आज ज़िन्दगी पढ़ा रही है..

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4 JAN AT 13:17

निराशा और हताशा,
घेरे है हर वक़्त,
घड़ी के कांटों की टिक टोक, टिक टोक...
इन दोनों को अपनी कुर्सी पर छोड़,
मैं काम करने के लिए उठ जाता हूँ.....

©️बशर नवाज़ ✍️

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4 JAN AT 13:11

ख़ामोश हूँ,
क्यूँकि ख़ामोशी,
अनसुनी चीख़ से बेहतर है,

©️बशर नवाज़ ✍️

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18 DEC 2023 AT 15:52

मानवता धंस गई दलदल में ,
दम तोड़ गई ,
मनु आराम से मखमल पे सोता रहा ।
उसे हासिल होता गया सब कुछ ,
मैं पाई पाई जोड़ कर भी सब खोता रहा।

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6 NOV 2023 AT 1:33

डिप्रेस्ड हूँ,
ऐसा कहने या लिखने पर,
शायद, वो कहे की नाटक है।

इसीलिए अपने जज़्बात छुपाता हूँ,
कहती हैं आँखें मेरी मैं चुप रह जाता हूँ।

©️बशर नवाज़ ✍️

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6 NOV 2023 AT 0:59

रात स्याह है, काली,
अंधेरों मे लिपटी,
बेखबऱ सोते हैं,
ऐसा ग़ुमान ना कर।

©️बशर नवाज़ ✍️

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4 NOV 2023 AT 22:40

हाथों की चंद लकीरों का ,
ये खेल है सब तकदीरों का ।

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1 NOV 2023 AT 13:39

आशा और निराशा के बीच ,
लटकते पेंडुलम की भांति ,
मैं भी झूल रहा हूं ,
खुशी कम और ज्यादा गम के बीच ,
गजनी में आमिर के पात्र के भांति,
मैं भी सबकुछ भूल रहा हूं।

©️बशर नवाज़✍️

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29 SEP 2023 AT 12:38

पैसा ही मोह है ,पैसा ही माया ,
इसके बिना सबकी ,पतली है काया,

जेबें टटोलो,बटुआ भी खोलो ,
रिश्ते हों, नातें हो,किसी को भी बोलो ,

पैसा ही मोह है ,पैसा ही माया ,

©️बशर नवाज़✍️

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27 SEP 2023 AT 1:03

मैं "शून्य" हूँ
ना आहत , ना हर्षित ,
ना ही पूर्ण कदाचित ,
मैं "शून्य" हूँ ।

©️बशर नवाज़✍️

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