Dr.Barnali Mukherjee   (Barnali Mukherjee)
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Joined 2 December 2017


Joined 2 December 2017
14 OCT 2021 AT 19:20

एक वर्ष पश्चात,
त्रासदी के बाद,
हर्षोल्लास साथ दुर्गोत्सव आया,
मगर
एक माँ की सेवा में लीन
दूसरी माँ का दर्शन ना हो पाया।

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23 APR 2021 AT 23:45

अब लोग double mask पहनकर
social distancing का पालन कर रहे हैं!

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25 SEP 2021 AT 18:39

तुम वो कमजोरी हो जो
मुझमे वाबसता मेरी ताक़त है।
तुम वो कमजोरी हो जो
आजमाईश में मेरी हिमाकत है।

तुम सैलाब में तिनका हो
जिसके साहरे किनारा मिल जाये,
तुम वो तलाफी हो जिससे
स्याह में पुरनूर मेरी फलाकत है।

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25 SEP 2021 AT 6:03

फरामोश होते रिश्ते में
कुछ रागमय यादें आज भी हैं।
तकल्लुफी की ओट में
कुछ शोख इरादे आज भी हैं।

खत्म होकर भी शायद
कुछ तलछट रह जाता है शेष;
जुदा हुये थे मुकम्मल मगर
लगता जैसे आधे आज भी हैं।

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18 SEP 2021 AT 8:27

हवा के रुख पर चिराग जलाने की जुररत की है!
हाँ, मैने इस ज़माने में भी मोहब्बत बशीद्दत की है।

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15 SEP 2021 AT 16:36

That makes you feel
Happy and beautiful
"Within"

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13 SEP 2021 AT 15:48

अपनों को खुशहाल रखने में अपने को रुला दिया।
अपनो की तवज्जों खैरियत में खुदी को भुला दिया।

शगुफ्ता हुआ दिल उनकी मुस्कान का सबब बनकर,
उनके ख्वाबों की ताबीर में अपना सपना सुला दिया।

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20 AUG 2021 AT 21:32

पहचानी सी आवाजों में
एक पहचाना सा मौन...
तलाश है मेरी शिद्दत से।

मेरी खामोशी में वो
वाबसता है, एक मुद्दत से।

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20 AUG 2021 AT 21:02

Falling in love is madness of youth
Letting go is sign of maturing
Unloving is recuperation of getting old...

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9 AUG 2021 AT 12:54

रंज कुछ ऐसे सिला-ए-मसर्रत में मिले।
कुछ अदावत में कुछ मोहब्बत में मिले।

रंज कुछ जन्म से हम पर नवाज़ा गया
कुछ दौर-ए-जीस्त-ए-मसाफत में मिले।

कुछ मोल लिये रस्मों के मुखालिफत में,
कुछ अपने ही घर के विरासत में मिले।

कुछ ज़ज़्बात निभाने के मुआवज़े मिले,
कुछ मासूमियत, कुछ सियासत में मिले।

अब फर्क नही रंज और खुशी में 'बरनाली'
मंजूर है हर तौफ़ीक़,जो किस्मत में मिले।

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