अगर किसी दिन ये आंखें हमेशा के लिए बंद हो जाए तो बस एक बार, मेरी धड़कन जरूर जांच लेना... - शायद धड़कने भी कोई अनकही अनसुनी नज़्म सुना दे तुम्हें, अच्छा लिख लेती हूं शायद, एक बार तुम आखरी सांस को भी बस वाह-वाह दे देना...
अगर मैं हिन्दू होकर आज किसी मुसलमान को ईद की मुबारकबाद दे दूं तो मेरी आंखों में वो प्यार भरी नमी तो होगी- - क्या कोई इन्सान ये समझ पाएगा कि- मोहब्बत ही हमारा मज़हब है, और मेरी इबादत में कभी कोई कमी न होगी... -----
मैं ये कभी ना कहूंगी तुमसे कि- वक़्त भले बीत रहा है लेकिन मैं आज भी उन लम्हों की कैद में हूं... - हर रोज़ एक नया बहाना ढूंढ़ती हूं- तुम्हें अपने पास मेहसूस करने का, तभी- शब्दों में गिरफ्त करके तुम्हें नज़्म बेहिचक बेहद लिखती हूं...