वो गाँव की सुबह, वो मंदिर की आरती,
वो ठंडी हवा के झोंके, वो नदी किनारा,
वो मिट्टी की खुशबू, वो चिडी़यों का चहचहाना,
वो आंगन में पेड़, वो पेड़ पे लगा झूला ,
वो लहलहाती फसले, वो बैल की घंटी,
आती हैं याद, गाँव की मिट्टी गाँव की मिट्टी...
- Bansari rathod 'ईश'