अंजान मुसाफिर   (एहसास - ऐ - कलम)
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Chalo bayan karte hai apne ahsas
Kalam ke sahare ✏️🌸
Joined 13 January 2018


Chalo bayan karte hai apne ahsas
Kalam ke sahare ✏️🌸
Joined 13 January 2018

मैं मसरूफ़ रहा गैरो की तबलीक में
मेरे कुछ अपने दोस्त काफिर निकले

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आज भी सीने में दफन है लोगो के राज
अगर बयान करदू तो तबाही अजायेंगी लोगो की जिंदगी में

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तुझे घरवाला समझा तभी तो तुझे घर की सारी बात बताया ।।

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मैं आज भी दरख़्त की तरह खड़ा हु
चाहे कितने तूफान ने मेरी डाल गिरा दिए हो ।।

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कास तू यह समझ पाती
की मेरा हमेशा तुझे हंसने के पीछे प्यार छुपा है ।।

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मिलने के पहले बहुत तारीफ की
मगर बिछड़ते के बाद वही तारीफ बुराई में बदल गई ।।

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दुनिया की चाहत में
तुमने अपना अखिरत बर्बाद करलिया ।।

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वोह तो हर किसी से प्यार से बात करते थे
तुम कैसे सोच लिए की तुम खास हो उनके लिए ।।

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ऐ ईमान वाले अब तो जाग जाओ
जो कल तक जुल्म और जिल्लत दूर मुल्क में हुआ होता था
तो चुप थे ,
आज तो बात घर तक आ गई हैं , अब क्यों चुप हो
अब तो जाग जाओ ।।

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कभी कभी खुदा भी तेरी दुआ कबूल नहीं करता है
क्युकी जिसे पाने के लिए तू आज दुआ कर रहा है
कल उसे भूल जाने के लिए भी दुआ करोगे ।।

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