22 MAR 2018 AT 7:44

रुआत से शुरुआत को मैंने वर्तमान बनाये रखा है
जमाने की परछाईयां हर बार चतुर्भुज बना रही है
इसीलिए वर्तमान को मैंने इत्मीनान थमाये रखा है

- ✍बाबू गांगिया© "अदम्य"