रुआत से शुरुआत को मैंने वर्तमान बनाये रखा हैजमाने की परछाईयां हर बार चतुर्भुज बना रही हैइसीलिए वर्तमान को मैंने इत्मीनान थमाये रखा है - ✍बाबू गांगिया© "अदम्य"
रुआत से शुरुआत को मैंने वर्तमान बनाये रखा हैजमाने की परछाईयां हर बार चतुर्भुज बना रही हैइसीलिए वर्तमान को मैंने इत्मीनान थमाये रखा है
- ✍बाबू गांगिया© "अदम्य"