वो आज भी हमसे प्यार करती हैं, भले ही बाते करने की आदत भूल गयीं। -
वो आज भी हमसे प्यार करती हैं, भले ही बाते करने की आदत भूल गयीं।
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मोहब्बत-ए-अदालत में सबूत मांगती है वो बेवफ़ा, उन होठों से बने निशान के, जो हमारे आँसुओ से कब के धुल गए। -
मोहब्बत-ए-अदालत में सबूत मांगती है वो बेवफ़ा, उन होठों से बने निशान के, जो हमारे आँसुओ से कब के धुल गए।
कोमल गालों को चूमने से रोक न पायीं वो, हथेलियाँ गीली मेहंदी की जंजीर से जकड़ी जो थी। -
कोमल गालों को चूमने से रोक न पायीं वो, हथेलियाँ गीली मेहंदी की जंजीर से जकड़ी जो थी।
सज़ा मिलेगी उन्हें बेवफ़ाई की, इंतज़ार है तो बस लगाव के क़ैद ख़ाने से हमारे आज़ाद होने का। -
सज़ा मिलेगी उन्हें बेवफ़ाई की, इंतज़ार है तो बस लगाव के क़ैद ख़ाने से हमारे आज़ाद होने का।
बढ़ जाते हैं उनकी पायल की छन-छन और चूड़ियों की खन-खन के सुर, हमसे बचकर भागते वक़्त। -
बढ़ जाते हैं उनकी पायल की छन-छन और चूड़ियों की खन-खन के सुर, हमसे बचकर भागते वक़्त।
लिख दी हमने उस ही काजल से शायरी, जिस काजल को उन्होंने तोहफे में नामंजूर कर दिया था। -
लिख दी हमने उस ही काजल से शायरी, जिस काजल को उन्होंने तोहफे में नामंजूर कर दिया था।
नक़ाब से अपनी सूरत की हिफाज़त कर, हुस्न की आंधी झोंक दिया करती हैं, हमारी नज़रो में। -
नक़ाब से अपनी सूरत की हिफाज़त कर, हुस्न की आंधी झोंक दिया करती हैं, हमारी नज़रो में।
रंग भर डाले उन्होंने, अपने रंगीले नाखून हमारे जिस्म में कुरेद कर। -
रंग भर डाले उन्होंने, अपने रंगीले नाखून हमारे जिस्म में कुरेद कर।
फाँसी के फंदे सी महसूस हुई, वो माला, जो उन्हें पहनाई जा रही थी, गैर के हाथों। -
फाँसी के फंदे सी महसूस हुई, वो माला, जो उन्हें पहनाई जा रही थी, गैर के हाथों।
हममें एक अज़ीम शायर पैदा हो गया, उन्हें ग़ुरूर था कि उनके मिलन के बिना पैदाइश नामुमकिन है। -
हममें एक अज़ीम शायर पैदा हो गया, उन्हें ग़ुरूर था कि उनके मिलन के बिना पैदाइश नामुमकिन है।