The Unknown   (एक अजनबी)
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जय भारती जय वन्दे भारत मातरम।।।
Joined 18 June 2018


जय भारती जय वन्दे भारत मातरम।।।
Joined 18 June 2018
5 DEC 2020 AT 15:00

आओ मैं तुम्हें संतुष्ट करू ।।।

( कविता कैप्शन में है )

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5 DEC 2020 AT 12:54

वो बोले सामने रखी सीढ़ी है
रख कदम अपने करलो हसरत पूरी
मैने कहा
जनाब मंजिल तो हमारी आसमां है
जिसका रास्ता खुद ही बनाना है

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3 DEC 2020 AT 22:01

मैं झूठो के बीच सच बोल बैठा
वो नमक का शहर थी
और मैं जख्म खोल बैठा।।।

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3 DEC 2020 AT 12:06

भटकते भटकते वो मिल ही जाएगा
जो किस्मत में है
तलब तो उसकी है जनाब
जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं

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2 DEC 2020 AT 19:03

सफर अनजान है, मंजिल का पता नहीं
वो साथ है तो मेरे पर, एहसास का पता नही।
ये किस्सा कहाँ और कब तक चलेगा खुदा जाने,
ना ही होश है मुझे, ना ही उसकी कुछ खबर,
क्या फिर कभी उससे मिलना होगा ?
मालूम नहीं ।

आज फिर वक्त थम सा गया है , उसकी यादों की तस्वीर के सामने रुक सा गया है,
उठा कर देखे मैंने वो पल तो जाना ;
सूरज उगता है तो मानो,वो लहराती हुई धूप सी आ जाती है,
अंधेरे के चादर में वो चांद सी नजर आती है,
जब कुछ बोलती है तो कोयल की तरह गुनगुनाती है,
चुप हो जाये तो, तो उसकी खामोशी भी सताती है।
भीगी जुल्फें हटा कर अपना चेहरा दिखाए तो, मेरी नज़रों में खुद को देख शरमा जाती है।
उसकी नज़रों में मानो मेरी पूरी दुनिया समा जाती है
उसके मुस्कुराने भर से जैसे मानो बहार सी आ जाया करती है
सुगन्ध उसकी किसी गुलाब से कम नहीं, जब भी साथ मेरे होती है, जिंदगी महक सी जाती है
उसकी परछाई मात्र भी, मुझे उसकी ओर खींच ले जाती है ।।

क्या कहूं उसकी तारीफ में अब मैं
जो मेरे दिल और दिमाग में, इस कदर छाई है
क्या वो कोई वहम है ? या कोई सच्चाई है?
सफर अनजान है,मंजिल का पता नही
क्या वो सचमुच मे साथ है मेरे ???
ये भी मालूम नहीं ।।।
:- आयुष वैष्णव

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2 DEC 2020 AT 0:49

सफर अनजान है, मंजिल का पता नहीं
वो साथ तो है मेरे, पर एहसास का पता नही।
ये किस्सा कब और कहां तक चलेगा मालूम नहीं,
ना होश है मुझे, ना ही उसकी कुछ खबर,
फिर कभी उससे मिलना होगा ,ये मालूम नही।

आज फिर वक्त थम सा गया है, उसकी यादों की तस्वीर के सामने रुक सा गया है
उठा कर देखता हूं मैं वो यादों से भरे खत, आंखे नम सी हो जाती है
सूरज उगता है तो मानो, धूप सी आ जाती है
अंधेरे के चादर में वो चांद सी नजर आती है
जब कुछ बोलती है तो कोयल की तरह गुनगुनाती है
जुल्फें हटा कर अपना चेहरा दिखाए, तो मेरी नज़रें देख शरमा जाती है
उसकी नज़रों में मानो मेरी पूरी दुनिया समा जाया करती है
उसके मुस्कुराने भर से जैसे मानो बहार सी आ जाया करती है
महक उसकी किसी गुलाब से कम नहीं,
और मेरी नादानी देख वो दिल खोल के मुस्कुरा जाया करती है

क्या कहूं मैं उसके बारे मे ।।
क्या वो कोई जादूगरी है, या है कोई परी,
जो मेरे दिल और दिमाग में, इस कदर छाई है
क्या ये कोई सच्चाई है, या कोई हसीन वेहम
मालूम नहीं ।।।

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1 DEC 2020 AT 14:07

सफर अनजान है, मंजिल का मालूम नहीं
वो साथ तो है मेरे ,
पर !
ये किस्सा कब और कहां तक चलेगा मालूम नहीं,
ना खबर है ना होश है
ये वक्त मानो थम सा गया है
अब, सूरज उगता है तो मानो
वो फूल सी लहराती हुई मेरे पास आती है
अंधेरे के अघोष में वो चांद सी नजर आती है
जब कुछ बोलती तो कोयल सी गुनगुनाती है
उसकी नज़रों में मानो पूरा ब्रह्मांड समाता हो
उसके मुस्कुराने भर से जैसे बहार आ जाती हो
महक उसकी किसी गुलाब से कम नहीं
क्या कहूं मैं उसको ।।।
क्या वो कोई जादूगरी है
या कोई परी है
जो मेरे दिल और दिमाग में छा गई है


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1 DEC 2020 AT 13:41

यकीनन कुछ तो बात है
उसकी बातों में
वरना यूं ही नहीं
हम अपनी नींद को दांव पर लगाते

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30 NOV 2020 AT 13:40

ना जाने ये कब और कैसे हुआ
ना चाहते हुए भी ये चाहतें होने लगी
धड़कते हुए इस दिल की धड़कने भी बढ़ने लगी
ख़ामोश सा था मेरा ये दिल
तुम्हारे आने से जैसे बहार सी आ गई

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19 JUL 2020 AT 10:42


The heart is trying to open the bag of apathy, the desire to turn the pages of books that have been closed for a long time, in which the best moments of life are hidden, the stories that have been passed down for years Only the blurry picture is left today, I feel like living it again. I wish there was such a magical lamp that would take me back to my memories

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