कुछ समेटा था, कुछ बिखर फिर गयी,मेरी मुट्ठी से यूँ फ़िसल फिर गयी,अभी तो आगोश में लिया था एक लम्हा,अभी वक़्त की सूई आगे निकल फिर गई। - J
कुछ समेटा था, कुछ बिखर फिर गयी,मेरी मुट्ठी से यूँ फ़िसल फिर गयी,अभी तो आगोश में लिया था एक लम्हा,अभी वक़्त की सूई आगे निकल फिर गई।
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