20 APR 2018 AT 0:00

#मैं हूँ यहीं,पर कहीं खोया हूँ।
इन चमकती धमकती गानों में नहीं,
मैं ग़ज़लों में पिरोया हूँ।
ना लिबाज़ में हूँ,ना अल्फ़ाज में हूँ,
पर हूँ यहीं कहीं मैं।

मैं बहती हवा में हूँ,
मैं दवा में भी हूँ,
ढूंढ ले अब तो कहीं,
अकेले में कई मुद्दत से रोया हूँ।

"सुकून" हूँ मैं,
मानो जैसे ओश के बूंदों में डुबोया हूँ...।

- Ayansh