"तुम वो नहीं जिससे मैंने प्यार किया था "
कहती थी वो ।
और मैं चुचाप उसको सुनता रहा ।
अपनी तंग सी ज़िन्दगी से इतना परेशान फ़िर भी वो हर मुमकिन चीज़ की जिससे उसको खुश रख सकूं ।
पर ऐसा हो ना सका,और वो चली गई ।
अब तुम्हारे जाने के बाद भी ये जाहिर करना मेरे लिए उतना ही मुश्किल हो रहा है जितना तुम्हारे रहते कभी बताने में हुआ करता था ।
पूरे दिन बस वो पल,वो मौका ढूंढ़ता था ,वो सवाल ढूंढ़ता था जिसके जवाब में मैं तुम्हारा नाम ले सकूं। तुम्हे याद कर सकूं । किसी न किसी बहाने तेरी तस्वीर देख सकूं ।
फ़र्क इस बात से नहीं पड़ता कि तुम ने मुझे छोड़ने का मन बना लिया
इस बात से पड़ रहा है कि उस वक़्त बनाया है जब मुझे तुम्हारी सब से ज्यादा जरूरत है । और मैं यहां तुमको सबसे अलग समझता था ।
"तेरी याद ना दिलाए दिल,इसे सताना पड़ रहा है
प्यार करता हूं तुमसे और ये तुम्हे बताना पड़ रहा है ।"
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