Awara Shivoholic   (Awara)
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Joined 16 January 2017


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Joined 16 January 2017
28 MAR 2018 AT 20:45

क्या कहना मेरे देश की तरक्क़ी का
पहले सिर्फ़ गंवार थे अब पढ़े-लिखे

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29 SEP 2021 AT 22:40

नामालूम कितने हवसी नयन हमारे हैं
कमबख्तों ने सौ पर्दों में छुपे बदन उघारे हैं

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22 SEP 2021 AT 1:39

खाली पन्ने को पढ़ना आ जाता है
तन्हाई से ख़ुद को गढ़ना आ जाता है

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21 SEP 2021 AT 1:17

क्या हुआ कि अब वो भी नखरे दिखाने लगे
हर बात में गेशू काजल बिखरे दिखाने लगे

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13 AUG 2020 AT 8:27

जिसपे पड़ें तुम्हारे नंगे कदम वो रास्ता होना है
जिसे देकर तुम राजी हो मुझे वो वास्ता होना है

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19 SEP 2019 AT 10:28

अंधेरे खौफ देते हैं चरागों से बगावत है
सफ़र में हर मुसाफिर की मुसाफिर से अदावत है

जिसे मौका मिला उसने डसा हमको मगर फ़िर भी
भला हूँ मैं बुरा है वो सभी की ये कहावत है

कभी देखो कहीं पर तुम ठहर कर होश में खुद को
तो जानोगे हकीकत में कहां पे क्या बनावट है

मुझे लाया गया है क्यूं यहां ऐसी जगह बोलो
जहां पैसे खुदा हैं और जिस्मों की इबादत है

नहीं मालूम हमको क्यूं नजूमी कह गया राजा
न पैसा है लकीरों में न माथे पे लिखावट है

फटी जेबें तुम्हें मालूम कैसे हों मेरे यारों
हमारी सब कमीजों पर खुदा की खास सजावट है

कभी नेता बना जो बाप गलती से कसम रब की
यहां पर भी कहेगा ये विरोधी की सियासत है

शऊर काला नफ़स काली करम काले धरम काले
दुआ पूजा इबादत की यहां पे बस दिखावट है

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25 APR 2019 AT 16:50

गिद्धों से है प्रभावित चरित्र अपना
गिरगिट नहीं चंदन है मित्र अपना
बदबू के रिश्तेदार ढूंढते गुलों को
पसीना बनाया है हमने इत्र अपना
वो और हैं जिनके जैसे लाखों होंगे
कायनात में इकलौता चित्र अपना
दो लोगों से मिल ख़ुश होने वालों
दुआ से बद्दुआ तक है जिक्र अपना
मैं आवारा परिंदा हूँ मशहर का सुन
पिंजरे के तोते तू फिक्र कर अपना

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29 MAR 2019 AT 17:23

यहां से जाते - जाते वो जाने क्या - क्या कह गया,

मेरे अलावा ख़ुदा जाने मुझमें क्या - क्या रह गया,

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6 MAR 2019 AT 8:54

मेरे झूठ में सच सुनने वाला इंसान कहां है
झूठों की इस दुनिया में झूठी जान कहां है

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4 MAR 2019 AT 21:52

लगे हैं सभी लोग हमको भुला ने
बुरे दिन दिखाए हमें जो ख़ुदा ने,
कहां यार था ये शहर भर हमारा
कहां अब बचे हैं फलाने - फलाने,
खिलाया पिलाया हंसाया जिन्हें था
वही आज मिलकर लगे हैं रुलाने,
हमें आदमी की परख तो हुयी है
पड़े हैं मग़र सब गुलिस्तां लुटाने,
बचे शूल ही शूल अब ज़िंदगी में
न देंगे किसी को इन्हें अब चुराने,
फरिश्ता नहीं नाख़ुदा है 'आवारा'
हराने को मुझको लगेंगे जमाने,

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