हर रात अमावस ही रहे तो अच्छा है कि एक शहर में दो 'चाँद' नहीं जंचते - अविनाश “कर्ण”
हर रात अमावस ही रहे तो अच्छा है कि एक शहर में दो 'चाँद' नहीं जंचते
- अविनाश “कर्ण”