15 DEC 2017 AT 0:38

"उसने कहा था उसके लिए"


उसमें अकिंचन सौंदर्य का प्रतिमान था,
गर्वित थी वो किंतु न ज़रा भी अभिमान था,
अनछुई ओस की बूंदों सी थी वो उषा की,
किसी के लिए उसमें न कोई कलुषा थी।


- मयकश