"उसने कहा था उसके लिए"उसमें अकिंचन सौंदर्य का प्रतिमान था,गर्वित थी वो किंतु न ज़रा भी अभिमान था,अनछुई ओस की बूंदों सी थी वो उषा की,किसी के लिए उसमें न कोई कलुषा थी। - मयकश
"उसने कहा था उसके लिए"उसमें अकिंचन सौंदर्य का प्रतिमान था,गर्वित थी वो किंतु न ज़रा भी अभिमान था,अनछुई ओस की बूंदों सी थी वो उषा की,किसी के लिए उसमें न कोई कलुषा थी।
- मयकश