Being शायर   (@tul)
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Joined 4 July 2018


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20 MAR 2022 AT 23:34

जो हर टूटा दिल शायर होता
तो
हर कोई शायर होता

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16 FEB 2022 AT 6:58

लहरे आती हैं और टकरा कर लौट जाती हैं
वो एक मेड़ खेत की कितने शहर बचाती है

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7 FEB 2022 AT 14:46

इस दिल के भी अजीब रस्मों रिवाज़ होता है
एक सूखे हुए गुलाब ने इश्क को ताज़ा रखा है

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2 FEB 2022 AT 18:58

तुम्हे लिखना बहुत था पर हर्फ न मिले
तुम्हे कहना बहुत था पर लब सिल गए
तुम्हारा होना एक धुंधला ख्वाब है जैसे
तुम्हे सुनना बहुत था तुम खामोश रह गए

किस्से लिखे हैं तुम्हारे जिक्र हैं हमने कई
तुम्हे बताना बहुत था, शुरू कहां से करें
तुम्हारी पायजेब और मेरी धड़कने
अब जैसे एक ही सुर में बजती हैं
ये राज़ ज़ुबॉ तक लाना बहुत था
पर यूं तुमसे कह न सकें

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11 JAN 2022 AT 15:14

खिड़कियों पर पर्दे चढ़ा लीजिए
बाहर माहौल सियासत का है

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25 DEC 2021 AT 13:14

जो हमारे घर की थालियों में रोटियां डालता है
वो अपने घर के बच्चों को पेट काट के पालता है

ज़रा सी धूप बढ़ जाए तो तुम्हे तपिश लगती है
सर पर सूरज लिए जलते पांव से फसलें काटता है

जब तुम तेज़ बारिश में चाय की चुस्कियां लेते हो
वो तबाह खेतों को अपनी नम आंखों से ताकता है

और सबको अपने हिस्से की खुशियों से मतलब है
वो अपने हिस्से का हक भी सर-ए-बाजार बांटता है

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26 NOV 2021 AT 16:50

जो हटाकर निगाहों से पर्दा वो देख लेते हैं मंजर
धड़क उठता है मौसम हवाओं में सांसे आ जाती हैं

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14 NOV 2021 AT 3:28

यूं ही नहीं बंजर से हो चले हैं ख्वाब अब

इन आंखों की तपिश ने कई समुंदर सुखाए हैं

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12 NOV 2021 AT 19:13

पथराई आंखो से नींद के इंतजार में
कई रातें गुज़ारी हैं हमने इस खुमार में

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7 NOV 2021 AT 0:58

साजिशें नाकाफी रहीं तुम्हें निहारने की
ये सादगी दो आंखों में समाई ही नही

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