Astuti Verma   (a_stuti)
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Joined 15 November 2017


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Joined 15 November 2017
20 NOV 2020 AT 9:37

बात नशे की चल रही थी,
हमनें ज़िक्र चाय का कर दिया।

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9 MAY 2020 AT 17:29

मासूमियत देख कर मोहब्बत की,
और कमीनापन देख के दोस्ती।
जब मोहब्बत कमीनी निकली,
तो कमीनों से मोहब्बत हो गयी।

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8 MAY 2020 AT 9:01

तलाश भी क्यों करूं अब उसकी,
वो खोया थोड़ी था
वो तो बदल गया था।

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7 MAY 2020 AT 23:36

रातें सजाने की बातें करने वाला,
भला मेरी जिंदगी को रौशन कैसे कर सकता था?

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6 MAY 2020 AT 22:52

मैं उसे फिर से पाने की ज़हमत क्यों करती भला,
मेरे ख्वाबों का कत्ल करने से पहले
जिसने इक बार सोचा भी नहीं था।

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5 MAY 2020 AT 21:40

उसका दूर जाना कुछ यूँ फायदेमंद रहा,
कि इक हसीन जिंदगी के ओहदार हैं अब हम।

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4 MAY 2020 AT 22:46

लफ्ज़ चुभ तो बहुत रहे होंगे ना आजकल मेरे?
खैर छोड़ो! सच वैसे भी कड़वा होता है।

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3 MAY 2020 AT 23:38

ग़र बात मक्कारी की आए कहीं,
तो बोलो! मिसाल तुम्हारा दे दिया करूं क्या?

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2 MAY 2020 AT 22:28

पहले इतराती थी मैं अपनी शख्सियत पर,
अब नफ़रत है मुझे अपने ही किरदार से।

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1 MAY 2020 AT 22:07

मेरे नफ़रत का आलम अब कुछ ऐसा है,
कि ग़र मौत तेरे घर का रास्ता पूछे
तो मैं उसे OLA से भेज दूँ।

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