बात नशे की चल रही थी,हमनें ज़िक्र चाय का कर दिया। -
बात नशे की चल रही थी,हमनें ज़िक्र चाय का कर दिया।
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मासूमियत देख कर मोहब्बत की,और कमीनापन देख के दोस्ती।जब मोहब्बत कमीनी निकली,तो कमीनों से मोहब्बत हो गयी। -
मासूमियत देख कर मोहब्बत की,और कमीनापन देख के दोस्ती।जब मोहब्बत कमीनी निकली,तो कमीनों से मोहब्बत हो गयी।
तलाश भी क्यों करूं अब उसकी,वो खोया थोड़ी थावो तो बदल गया था। -
तलाश भी क्यों करूं अब उसकी,वो खोया थोड़ी थावो तो बदल गया था।
रातें सजाने की बातें करने वाला,भला मेरी जिंदगी को रौशन कैसे कर सकता था? -
रातें सजाने की बातें करने वाला,भला मेरी जिंदगी को रौशन कैसे कर सकता था?
मैं उसे फिर से पाने की ज़हमत क्यों करती भला,मेरे ख्वाबों का कत्ल करने से पहलेजिसने इक बार सोचा भी नहीं था। -
मैं उसे फिर से पाने की ज़हमत क्यों करती भला,मेरे ख्वाबों का कत्ल करने से पहलेजिसने इक बार सोचा भी नहीं था।
उसका दूर जाना कुछ यूँ फायदेमंद रहा,कि इक हसीन जिंदगी के ओहदार हैं अब हम। -
उसका दूर जाना कुछ यूँ फायदेमंद रहा,कि इक हसीन जिंदगी के ओहदार हैं अब हम।
लफ्ज़ चुभ तो बहुत रहे होंगे ना आजकल मेरे?खैर छोड़ो! सच वैसे भी कड़वा होता है। -
लफ्ज़ चुभ तो बहुत रहे होंगे ना आजकल मेरे?खैर छोड़ो! सच वैसे भी कड़वा होता है।
ग़र बात मक्कारी की आए कहीं, तो बोलो! मिसाल तुम्हारा दे दिया करूं क्या? -
ग़र बात मक्कारी की आए कहीं, तो बोलो! मिसाल तुम्हारा दे दिया करूं क्या?
पहले इतराती थी मैं अपनी शख्सियत पर,अब नफ़रत है मुझे अपने ही किरदार से। -
पहले इतराती थी मैं अपनी शख्सियत पर,अब नफ़रत है मुझे अपने ही किरदार से।
मेरे नफ़रत का आलम अब कुछ ऐसा है,कि ग़र मौत तेरे घर का रास्ता पूछेतो मैं उसे OLA से भेज दूँ। -
मेरे नफ़रत का आलम अब कुछ ऐसा है,कि ग़र मौत तेरे घर का रास्ता पूछेतो मैं उसे OLA से भेज दूँ।