Astha Dwivedi   (@आस्था द्विवेदी ✍️)
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Die with memories not with dream's


Day dreamer 🌞

❤️ Indian army
Joined 17 February 2020


Die with memories not with dream's


Day dreamer 🌞

❤️ Indian army
Joined 17 February 2020
17 NOV 2021 AT 0:21

जब भी आवाज़ दू, तुम चले आना
बिन बोले मन की बातो को
इस क़दर समझ जाना
मैं बोलूंगी तुम्हे जाने को
तुम ढीठ बन कर वही ठहर जाना

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17 NOV 2021 AT 0:16

अलमारी में रखे तुम्हारे तोहफ़े
मुझे देख कर यू मुस्कुरा रहे हैं
जैसे वो वक्त को दुबारा बुला रहे हैं ।

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16 NOV 2021 AT 23:40

अकेलेपन कि बहुत खूबसूरत आदत है
बीते हुए कल की तस्वीरे बहुत याद आती हैं

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16 NOV 2021 AT 23:37

जब बुरे ख्याल तुम्हे सताएं, और आँखें भी गम छुपाने लगे
बड़ी सी हिम्मत कर
घर चले जाना, अपनी माँ की गोद में शाम बिताना ।
जिन्दगी की खाली स्याही में,
खुद ही रंग भरा ।
सुना हैं बहुत समझदार हो तुम
इस कड़ी धूप से यू न घबराना
माना लाखों कठनाइयां हैं
तुम कभी डगमगाना मत।
सुर्खियों में आना इतना आसान नहीं
तुम कोशिश करना , मगर खुद को नाकामी का भाग मत समझना,
यूही नही मिलती है सफलता
हर दर्द को भरना पढ़ता है
हर वक्त मरहम बनना पड़ता हैं
जब कभी शाम खुद को अकेला पाना
खुली हैं बहे , कभी भी आना ।
भले ही हाथ पे हाथ रख कर सहारा न दू
मगर तेरे होसलो की नींव हूं
हर वक्त तेरे साथ तुझे मजबूत करू गी
रुकती हुई गलियों मे सूनसान से रास्ते हैं
हर महकते हुए फूलों में काटे हैं
तुम इन सबसे डरना मत,
इन सब से आगे बढ़ना, डरना मत
हर वक्त का वक्त तुम्हारा है,
ये सफ़लता का तिलक तुम्हारा है

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16 NOV 2021 AT 23:11

हर शाम खुशियों का पिटारा लिए घर चले आते हों
हर वक्त हमारी चिंता में अपना सामान छोड़ आते हों
हमारी हर जिदो को अपना कर्तव्य समझते हों
पापा आप हमे इतना क्यों समझते हों ?

सुबह वक्त से पहले उठ कर
अपने अरामो का गला घोट कर बिना चाय कि प्याली पिए,
चुपचाप से हमारे ख्वाबों को पूरा करने का जो जिम्मा हैं
कभी तो थकते होगे आप
कड़ी धूप , बिनवक्त बारिश, कपकपाती हुई ठंड में भी हमारे लिए सोचते हों
पापा आप हमे इतना क्यों समझते हो?
मेरी हर हाँ में हाँ मिलने वाले
जादू की छड़ी से सारी खुशियां दिलाने वाले
कभी अपने लिए वक्त निकालो
बैठ कर सुकून भरे दो वक्त
खुद के साथ बितालो

मैने दादी से सुना है, आप बहुत शैतान होते थे
क्या ये सच हैं, आप भी उदास होते थे?
वो बड़े फक्र से कहती हैं ये मेरा बेटा हैं
थोडी सी अक्ल हमे भी देदो, आप को किसने रोका हैं
बहुत बड़े है आपके अहसान लिख कर तो न बता पाऊंगी
क्या जीवन में सुखों से आपका कर्ज उतर पाऊंगी?

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21 OCT 2021 AT 23:47


कि किसी को किसी के जाने का गम हैं,
मुझ तो इस जमाने का गम हैं।

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8 OCT 2021 AT 10:36

अब तक तो लोगो को बदलते देखा था
अब हम बदले गे ।

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17 SEP 2021 AT 23:32

जो ताश के पत्तों की तरह हो जाते है
वो अक्सर पैरों से रौंद दिए जाते है

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7 SEP 2021 AT 20:55

घर जितने छोटे होते हैं,
लोग उतने ही करीब होते हैं

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6 SEP 2021 AT 23:11

ऐ आम सी जिंदगी ,यू न आजमाया कर,
आहिस्ते-आहिस्ते इस क़दर न रुलाया कर
सपनों की उड़ान को , यू न दबाया कर
ऐ आम सी जिंदगी ,यू न आजमाया कर,

खुली आंख देखे सितारे को,
थोड़ी देर और चमकाया कर
इन सुलझी हुई बातों को, यू न उलझाया कर
इन थके पैरों का सहारा, यू न चुराया कर
ऐ आम सी जिंदगी ,यू न आजमाया कर,

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