संघर्षों में,
इस पार से उस पार का सफर,
कितना खूबसूरत लगता है,
दूसरों का सुनने ,
देखने में।
पर ख़ुद के संघर्षों से,
भला इतनी नाउम्मीदी क्यों।
क्यों नहीं लगता कि,
ये जो हजार मुश्किलें सह,
वो इंसान,
आज मुस्कुरा रहा है,
कल आप भी तो,
सब पार कर जाएंगे।
पार कर जाएंगे न,
है भरोसा न,
खुद पर,
तो फिर,
किस बात का खौफ है,
क्यूं डरते हैं,
कि आप नहीं कर पाएंगे।
ये खौफ सारे,
इतने विशाल तो नहीं,
कि एक रोज तुम,
निकलो हिम्मत करके,
और ये तुमको,
रोक भी पाएंगे।
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