यादों में नानी माँ -१७
हर्ष बाबू अभी रो ही रहे थे,तभी उनके पिताजी ने घर में प्रवेश किया। हर्ष के पिताजी ने अपनी माँ और पत्नी से पुछा, " क्या बात है,क्यों रो रहा है? वैसे हर्ष की दादी को अपने पोते-पोतियों से लगाव था पर जैसा कि हर घर में होता है अगर किसी को डांट सुनानी हो और आपको कोई बहाना नहीं मिलता तो किसी और का सहारा लेते हैं ठीक वैसा ही कुछ हर्ष की दादी सोच रही थी अपनी बहू के लिए। दादी ने कहा, " बेटा, हमको लगता है हर्ष की माँ ने उसे पीटा होगा तभी हमार लाल रो-रो के लाल हो गया है ।
तभी हर्ष का बड़ा भाई प्रिंस वहाँ पहुँचा और बोला, "नहीं, पापा ये तो स्कूल से आते ही जैसे कमरे में आया रोना शुरू कर दिया , कब से हम पुछ के परेशान हो गए हैं, अब आप आ गए हैं ना आप ही कुछ पुछिए क्या बात है जो ये इतना शोर मजा रहा है और दादी तो बस ऐसे ही बोल रही है माँ को। हर्ष की माँ ने उससे बड़े प्यार से पुछा, " देखो, बेटा तेरे पापा भी आ गए हैं ,किसी ने तुझे स्कूल में पीटा तो नहीं?" अब तो बस सबको इस बात का इंतजार था कि हर्ष बाबू बताए कि आखिरकार उनके साथ हुआ क्या था? — % &-
यादों में नानी माँ-१६
बारह साल के बच्चे के मन में नानी घर जाने के लिए अभी भी वैसा ही उमंग था जैसा पांच साल पहले था । पांच सालों में वो बड़ा तो हो गया था पर नानी माँ के लिए प्यार पहले जैसा ही था।हाँ, पर अब वो पढ़ता था तो परीक्षा और स्कूल को छोड़ कर नहीं जा सकता था,इस बार हर्ष अपनी गर्मी की छुट्टियों के सारे होमवर्क पुरा कर रहा था ताकि उसे नानी माँ के साथ वक्त बिताने का समय मिल सकें। पर संयोग से इस बार की गर्मी की छुट्टियां घर पर ही बीत गई । हर्ष बहुत उदास था, पर स्कूल खुलने पर वो ये बातें भुल गया और स्कूलों के कामों में व्यस्त हो गया । एक दिन हर्ष स्कूल से घर आया तो उसने सुना माँ फोन पर मासी से बात कर रही थी और बात शायद नानी माँ से जुड़ी हुई थी, बात करते-करते अचानक माँ और मासी रोने लगी। ये देखकर हर्ष को कुछ समझ नहीं आ रहा था तो वो भी जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया,वैसे
हर्ष जल्दी रोता नहीं है पर उसकी आवाज सुन हर्ष की दादी
आ गई और पुछा क्या हुआ? काहे रो रहे हो हर्ष बाबू? पर हर्ष बाबू तो बस रोए जा रहे थे ।
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Tell me, just get off in the breath.
Steal my heart, make me yours.-
उनकी सादगी उन्हें औरों से अलग बनाती है,
उनकी प्यारी सी मुस्कान हर गम भुला देती है..
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एक नया सफर • यादो में नानी मां - १५
कहानी में पांच साल बीत चुके हैं अब सबकुछ बदल चुका है गली-मोहल्ले,गांव-शहर,सब की जिंदगी में एक नई तकनीक में कदम रख थी 2 जी से 3 जी नेटवर्क का ये जमाना था,दुनिया एक नए रंग में खुद को रंग रही थी, लोग भी खुद को अपडेट कर रहे थे ताकि वो इस आधुनिक युग में पीछे ना रह जाए पर सोच अब भी पहले जैसे ही थी कुछ लोगों की, पर इतने सालों में बालक का अपने नानी मां के लिए प्यार कम नहीं हुआ था। बालक छठी कक्षा में पढ़ता है।बालक को सभी अब "हर्ष " के नाम से जानते है। हर्ष बारह साल का हो गया है।नए दोस्त बन गए है उसके पर नानी मां अब भी उसकी खास दोस्त है।बालक को बचपन में नानी माँ की कही वो बात आज भी याद है-"नाती साहेब हम आपके साथ नहीं आ सकते हैं क्योंकि बेटी के घर का पानी मना है ये समाज के कायदे कानून है। "पर एक सवाल अभी उसके मन में चल रहा है आखिर ये समाज कौन है? जिसने ये हक़ दिया है कि लड़की के माता- पिता बेटी के शादी बाद उसके साथ नहीं रह सकते हैं ऐसा क्यों?
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जब केहूँ ई पुछे ला ना ,भाई छठ क्या है?
अब हम कईसे बताई छठ के त अनगिनत परिभाषा बा..
छठ हमनी ला एगो भावना बा, आस्था बा, पवित्रता बा..
सभे एक समान बा एकर पाठ पढ़ावत ई महापरब बा..
अपन गाँव अपन माटी अपन लोग से मिलके बहाना बा..
प्रकृति जै सब कुछ भी हमनी के निस्वार्थ देहले बा
ओकरा के आभार व्यक्त करेके मिलल एगो मौका बा..
परिवार के साथे माथे दउरा लेके जायके बहाना बा..
पुत असो धियो दुलारी बाड़ी ई बात बतावत महापर्व बा..
घर परिवार के साथ में जोड़े वाला ई छठ के महापर्व बा..
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जब कोई पुरी दुनिया से लड़ जाए सिर्फ तुम्हारे लिए
कभी छोड़ ना उसका साथ तुम किसी ओर के लिए....-
उंगली पकड़ कर के जिसने हमें चलना सिखाया वो पिता है..
अपने शौक भुल जो हमारी सारी ख्वाहिशें पूरी करें वो पिता है..
कभी जताएं नहीं कि वह कितना प्यार करता है हमें वो पिता है..
नीम की पत्तियों सा कड़क एवं वृक्ष सा शीतल छांव दे वो पिता है..
चाहे लाख परेशानियों हो फिर भी जो हंसे मुस्कुराएं वो पिता है..
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यादों में नानी मां-१४
बालक का मन थोड़ा उदास था क्योंकि अब वो नानी मां के साथ नहीं खेल पायेगा। नानी मां भी उदास थी पर वो अपने नाती साहेब को हंसी ख़ुशी विदा करना चाह रही थी।अपने आंसुओं को उन्होंने अपनी मुस्कान से छिपा लिया था। स्टेशन जाने के लिए बालक के माता
-पिता तैयार हो गए थे।बालक ने सबको प्रणाम किया
और नानी घर से निकलने लगा तभी उसके मन एक ख्याल आया। बालक ने अपने माता-पिता को आवाज दी-"रूकिए! क्या हम नानी मां को अपने साथ घर नहीं
ले जा सकते हैं?"
भोले बालक के इस प्रश्न से सभी हैरान थे आखिर इसके
मन में ये बात कैसे आई।नानी मां ने कहा-"नाती साहेब,
हम आपके साथ नहीं आ सकते है क्योंकि बेटी के घर
का पानी पीना भी मना है यह समाज के नियम कानून है।"
नादान बालक क्या जाने समाज के ये नियम कानून।वो
सबको बाय कह कर अपने माता-पिता के साथ स्टेशन चल दिया।
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यादों में नानी मां -१३
बालक को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने मां से माफ़ी मांगी।पर यह भी सच है कि मां अपने बच्चों से ज्यादा देर तक नाराज़ नहीं रहती है,वैसा यहां भी हुआ बालक की मां ने बच्चों को गले से लगा लिया और माफ़
किया।
सुबह हुई तो नानी मां ने बालक को बुलाया और अपने
पास बिठाया।नानी मां ने कहा,"साहेब!आपकी मां आप
से बहुत प्यार करती है।वो आपकी बहुत फ़िक्र करती है क्योंकि हर मां की जान अपने बच्चों में बसती है।"
बालक ने कहा,"अब से मैं मां को कभी परेशान नहीं करूंगा और नानी मां हम भी मां से बहुत प्यार करते हैं।"
ऐसे ही खट्टे-मीठे यादगार पलों के साथ गर्मी की छुट्टियां
बीत गई और अब नानी घर से अपने घर लौटने का दिन
आ गया।-