तुम्हें क़ीमती नहीं, अपना समझा था।भला हमसे अदा न हो,कोई क़ीमत नही थी।तुम अपनी हदों को कभी का भूल गये थें,हमें तो सरहदों की कोई जरूरत नहीं थी।। - आशुतोष शर्मा 'सारांश'
तुम्हें क़ीमती नहीं, अपना समझा था।भला हमसे अदा न हो,कोई क़ीमत नही थी।तुम अपनी हदों को कभी का भूल गये थें,हमें तो सरहदों की कोई जरूरत नहीं थी।।
- आशुतोष शर्मा 'सारांश'