28 JUL 2017 AT 13:11

तुम्हें क़ीमती नहीं, अपना समझा था।

भला हमसे अदा न हो,कोई क़ीमत नही थी।


तुम अपनी हदों को कभी का भूल गये थें,

हमें तो सरहदों की कोई जरूरत नहीं थी।।

- आशुतोष शर्मा 'सारांश'