मैं एक नाज़ुक सा खिलौनातू एक काँच की गुड़िया,मैं नाव किसी कागज से बनाउसपे लिखी कविता है तू!तू घुल रही है श्याही सीमैं पिघल रहा उस पानी में,तू चलती हवा एक साँझ कीऔर उड़ने का एहसास हूँ मैं! - August
मैं एक नाज़ुक सा खिलौनातू एक काँच की गुड़िया,मैं नाव किसी कागज से बनाउसपे लिखी कविता है तू!तू घुल रही है श्याही सीमैं पिघल रहा उस पानी में,तू चलती हवा एक साँझ कीऔर उड़ने का एहसास हूँ मैं!
- August