14 MAR 2018 AT 12:24

मैं एक नाज़ुक सा खिलौना
तू एक काँच की गुड़िया,
मैं नाव किसी कागज से बना
उसपे लिखी कविता है तू!



तू घुल रही है श्याही सी
मैं पिघल रहा उस पानी में,
तू चलती हवा एक साँझ की
और उड़ने का एहसास हूँ मैं!

- August