20 MAY 2018 AT 23:15

क़ुर्बतों की जगह फासले हो गए,
इस बज़्म में हम अकेले हो गए।

ज़ुस्तज़ु में तेरी ऐसी हालत हुई,
चलते चलते पांव में छाले हो गए।

खिज़ा का ये मौसम मुझको मिला,
उम्मीदों के सब फूल पीले हो गए।

- आशु