28 NOV 2017 AT 9:34

मंजिल की जुस्तजू नहीं थी

वो रहबर ए कामिल था

ठहरा नहीं कहीं भी बस हाथ मिलाता गया

वो मुसाफ़िर था सफ़र को निकला था




- Ashu Sharma (किताब -ए- ज़िदगी)