Ashish Awasthi   (ख़ाक)
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Joined 14 May 2017


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Joined 14 May 2017
24 APR AT 10:59

बाग की सब तितलियां आएंगी ढकने ये बदन
आओ तुम बे-पैरहन होकर के मेरे सामने।।

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24 APR AT 10:15

आपके टूटे हुए सम्मान की रक्षा करने वाला ही आपका सच्चा हितैषी है, सम्मान करने वाले तो बहुत लोग होते हैं, कुछ झूठा दिखावा कर लेते हैं कुछ सच में मान करते हैं पर आपकी बिगड़ी हुई छवि को जो सुधारता है वो विशिष्ट है।
कृष्ण ने पांचाली के बिगड़े हुए सम्मान की रक्षा की, उसे वापस अग्निसुता बनाया, राम ने अहल्या के बिगड़े हुए चरित्र की रक्षा की।

किसी का बिखरा सम्मान बनाना,
सम्मान की रक्षा करना श्रेयस्कर है।।

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1 JAN 2023 AT 23:01

इस कदर तुमसे मुहब्बत बढ़ रही है दिन ब दिन
चाँद बढ़ता है शब-ए-पूनम की जानिब जिस तरह।।

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14 AUG 2022 AT 14:24

आख़िरी नुक़सान जीवन से
सब कुछ ले जाता है।।

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12 JUL 2022 AT 22:08

!! पापा !!
(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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6 JUN 2022 AT 16:28

शहर की पक्की छतें भी गुफ्तगू करने लगीं
गांव जाकर पेड़ से कुछ छांव लानी चाहिए।।

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26 MAY 2022 AT 10:38

लब से छूकर लाएंगे तूफ़ाँ तुम्हारे जिस्म में
फिर बदन में उठ रहा सैलाब देखेंगे सनम।।

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22 MAY 2022 AT 0:13

कह रहा है दिल कि वापस चाँद देखेंगे सनम
यानी फिर से हम तुम्हारा ख़्वाब देखेंगे सनम।।

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28 MAR 2022 AT 13:31

मोहब्बत सोहब्बत कहाँ से करें
घर चलाने से है जिनको फुरसत नहीं।।

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26 MAR 2022 AT 20:16

तुमने हमको देख कर भी मोड ली नज़रें सनम
इस गली में अब हमें क्यों कर ही आना चाहिए।।

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