शराब ए मेहफ़ील में
भर लो प्याले को तुम जाम से जितना भर सकते हो,
पी लो प्याले तुम जाम के जितना पी सकते हो।
फिर कहना मत की शराब यूही बदनाम हे,
नज़्म मैं उसके सुनाने जा रहा हूँ।
......................
सुन ले ए इश्क़ नज़्म तेरी सुनाकर मैं, ×2
शराब इनकी छूटवा रहा हूँ।
...........
बिकेंगे फ़िर नज़्म मेरे हर शराब ए खाना में,
ज़िक्र तुम्हारे आँखो का मैं करने जा रहा हूँ।
- Mohd Asad Noori