15 OCT 2017 AT 11:17

वस्ल की रात को कुछ इस तरह से समझो तुम
कि कभी सुब्ह न हो, हो तो शर्मख़्वाँ हो रहे

कि तुम्हें उसके हुए से हिजाब रखना था

- चेतस