Arunima srivastava   (Vishisht (विशिष्ट))
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Joined 5 January 2018


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22 APR AT 18:37

जब दिल ने कहना चाहा,
शब्द शब्द बहना चाहा,
कलम उठाई लिख डाला,
छन्द, सोरठा, दोहा, कविता,
बह उठी भावों की सविता......

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19 APR AT 23:17

होते एक दूजे के साथ,
मगर बदले से हैं हालात
दूर से होती है अब बात,
नहीं कटती है तुम बिन
लंबी सी इक रात......

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11 APR AT 21:26

हमारा और दुनियां
मिलना मुश्किल, देख रही है ये दुनियां

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11 APR AT 21:17

जब आसमान का चाँद, कहीं छुप जाता था।
वो मेरा चाँद रात अंधेरे में ही जगमगाता था।

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18 MAR AT 21:55

जलाये रखना,
अपने अंदर का अहसास जगाए रखना,
बिना अहसास के,
जीवन महज पाषाण होता है,
इस लिए प्यार से,
रिश्तों को निभाए रखना...

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18 MAR AT 21:49

क्या ये मेरा अपना था,
हम जिसको अपना कहते रहे,
लगता है झूठा सपना था,
हाँ ये दिल ही तो है,
जो बेगाना बन बैठा,
अब मेरी एक भी सुनता नहीं,
मुझे छोड़ के तेरा बन बैठा....

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12 MAR AT 22:18

सुनते सहते हद हो गई,
जाने कैसे मेरी ये धड़कने,
मुझमें तेरे होंने का सबब हो गई,
अब तो हालात ऐसे हैं कि क्या कहेँ,
तुम हो सामने, तो मचलती हैं यें,
बिन तुम्हारे,
तुम्हारे लिए ही धड़कती हैं यें.....

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12 MAR AT 17:25

जैसे कोई खेल तमाशा,
जाने किसका खेल खतम हो,
जाने कब कैसे बन जाए कोई तमाशा।
हर कोई इसमें जीतना चाहे,
जाने का डर नहीं जरा सा,
दुनियां को रचने वाला,
वो भाग्य विधाता,
कठपुतली सा हमें नचाये,
देख तमाशा......

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3 MAR AT 20:40

अब नहीं होतीं,
होतीं हैं जरूरतों भरी बातें,
जो मिल गया,
उसका सुकून नहीं,
भाग दौड़ भरी ज़िंदगी है और,
बैचैन सी हैं रातें......

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2 MAR AT 19:53

हर सांस में अब तो शामिल हो तुम,
है याद करने की क्या जरूरत,
हर बात में अब तो शामिल हो तुम.....

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