जब तक टूटा था तो शायद सिमट जाता,ना जाने क्या ज़िद थी तेरी के बिखरा दिया मुझको। - अरुनीश
जब तक टूटा था तो शायद सिमट जाता,ना जाने क्या ज़िद थी तेरी के बिखरा दिया मुझको।
- अरुनीश