Arun Maurya   (RK ✔️)
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Joined 6 April 2018


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Joined 6 April 2018
7 OCT 2022 AT 23:23

क्या पढ़ सकेगा वो शख़्स उसे करीब से
बिन पढ़े जिसे मैंने किताबों में लिखा है

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7 SEP 2022 AT 23:16

पिछले इश्क़ ने रकम अच्छी दिला दी
ये वाला तो बस मशहूर ही किए जा रहा है

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29 AUG 2022 AT 23:23

काफी कुछ पसंद था मुझे। बीच बीच में याद आता रहता है। किसी से बात अधूरी रह गई थी दिमाग बताता रहता है।
लिखता था । कभी खुद के लिए नहीं लिखा। लिखा तो वो भी दो पंक्ति से ज्यादा तो बिलकुल भी नहीं। अब कितना अच्छा लगता है इतना सब लिखने पर ! एक होता है न शख्स कोई मोहब्बत कह लो। हां कुछ सालों से है । पढ़ लेना मेरे लिखे हुए कुछ शब्द तुम्हें उनमें मिल जाएगा। मुझे तो ठीक से मिला नहीं। एक दफा किसी के फरेब में फसा था वो उन दिनों मेरा काफी अच्छा दोस्त था। बाकी इससे ज्यादा बताने लायक कुछ हुआ नहीं।

एक नज़र पढ़ता हूं तो लगता है कि मुझे कुछ हुआ है क्या?
इतना कुछ कहे जा रहा हूं जैसे आगे कुछ कहना ही न हो।
खैर कोई बात नहीं , अगर तुम पढ़ते पढ़ते यहां तक आ गए हो तो सलाह भी दे दो ज्यादा न सोचने की क्यूंकि मैं मान लूंगा और तुम्हारा वक्त बच जाएगा।

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29 AUG 2022 AT 23:21

सुबह उठते ही कुछ देर खुद को समझाया करता हूं कि मैं यहीं हूं तेरे साथ, मुझे महसूस कर। फिर सारे काम निपटा कर बाहर की और निकलता हूं। सड़क पर चलती गाड़ियों को गौर से देखकर डरता हुआ उस पार होता हूं। सुबह, धूप, मौसम, हवा कुछ महसूस नहीं होता। मै कोशिश करता रहता हूं सीधा चलने की। ऑफिस पहुंचने से पहले खुद को संभाल लेता हूं । साथ वालो को देखता हूं और उनके जैसा रहने की कोशिश करता हूं ताकि उन्हें कोई फर्क न लगे। थोड़ा सा हंसना याद रहता है जब तक किसी से बात करता हूं। शाम की वापसी भी बेहोशी में होती है। वापस आकर एकटक छत को देखता हूं फिर जरूरत महसूस होती है फोन देखने की। दिन में कितने फ़ोन आए देखकर भी वापस रख देता हूं दुबारा नहीं करता। किसी से कोई शिकायत नहीं है।

मां को शिकायत रहती है जबसे बाहर गया है ज्यादा बात नहीं करता । फोन का इंतजार रहता है फिर हार कर खुद ही कर लेती है। पापा भी कहते हैं थोड़ा बात कर लिया कर। मैं समझ नहीं पाता क्या कहूं? उन्हें लगता बाहर की दुनिया में मशगूल है। चलो ऐसा ही सही ये भ्रम भी ठीक है उनके लिए।

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29 AUG 2022 AT 22:59

because we can't escape





because we can't escape

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14 AUG 2022 AT 22:50

मैं वैसा ही खाली हूं मुझमें कुछ नहीं आज भी
उलझा नज़र आता हूं और नहीं रखता कुछ राज़ भी

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14 AUG 2022 AT 22:42

एक दौर से मैने ज़िंदगी को संभाल रखा है
जीने के लिए कईं वहमों को पाल रखा है

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10 JUL 2022 AT 22:47

अरबों की गिनती है अगर जिस्मों को गिनूं मैं
मसला इश्क़ का है जाने किसमें छुपा बैठा हो

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29 JUN 2022 AT 0:12

जिद्द घुटन में रहने की है
फिर कोई कितनी भी हवा करे
तबियत सबकी गुलज़ार हो जाए
अगर वो एक शख्स दवा करे

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28 JUN 2022 AT 0:13

दो हर्फी ये नाम तेरा अब तो लिख कर बयां करूं
बंधन के कंगन बांह तेरी अब मैं कैसी हया करूं

गंगा घाट में तेरी बाट में आस के दीए जवां करूं
अगर तू ही न आए प्रिया तो बता मैं क्या करूं

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