Zinda hu mai kabhi mar ke nahi dekha, Ishq ke hukumat me ishq kar ke nahi dekha, Tu moom ka waza hai, mere ankhon me aag hai, Fikar na kar tujhe nazar bhar ke nahi dekha.
जब हंसते हुए लबों के पीछे आंसू को मिटाना पड़ता है, कुछ याद भुलाने पड़ते हैं कुछ दर्द छुपाना पड़ता है।
जब खुशियों की चादर ओढ़ कर यह जिंदगी बहक सी जाती है, जब साथ सबका होता है फिर याद उसकी क्यों आती है? जब खुद ही तन्हा बैठकर खुद को ही समझाना पड़ता है, तब कुछ याद भुलाने पढ़ते हैं कुछ दर्द छुपाना पड़ता है।