Arshi Shagufta   (Arshi)
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Joined 25 June 2018


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Joined 25 June 2018
4 DEC 2020 AT 16:00

Beeta hua wo pal ab mar kyu nahi jata
Ek shaks mere dehleez se guzar kyu nahi jata,

Ishq ka wo jaam liye zamana guzar gaya
Nasha har zor badhta h ab wo utar kyu nahi jata,

Ek shaksh mere dehleez se guzar kyu nahi jata..





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19 NOV 2020 AT 17:38

Ye umar, waqt, rasta
sab guzarta raha,
Rehguzar hi to tha mai,
jo safar karta raha.

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2 NOV 2020 AT 20:13

आशियाँ बसा ली उसने
मिजा़न-ए-जिंदगी को छोड़कर,
उस दिन में जी रहा हूं मै
उसी एक दिन को रोककर।

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16 OCT 2020 AT 22:18

मेरी अदालत में,
तेरी सजा़ कुछ और है।

कल वजह कुछ और थी,
आज वजह कुछ और है।।

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4 OCT 2020 AT 18:56

वह महफिल यारों कहां सजी
उस एक मैंखाने के बाद,

मैं खुद को तराशा करता था
तुझे पाने के बाद,

देख इंकार करता है अब आईना भी
कबूलने से मुझे,

कि मैं , 'मैं' ना रहा यार
अब तेरे जाने के बाद ।

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30 SEP 2020 AT 13:03

तेरे दरबदर यूं भटकूं मैं
भला मेरी भी क्या मजाल है
तू इश्क कर फिर वार कर
तेरी हैसियत तो कमाल है।

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25 SEP 2020 AT 22:59

Zinda hu mai kabhi mar ke nahi dekha,
Ishq ke hukumat me ishq kar ke nahi dekha,
Tu moom ka waza hai, mere ankhon me aag hai,
Fikar na kar tujhe nazar bhar ke nahi dekha.

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14 SEP 2020 AT 12:08

जब हंसते हुए लबों के पीछे आंसू को मिटाना पड़ता है,
कुछ याद भुलाने पड़ते हैं कुछ दर्द छुपाना पड़ता है।

जब खुशियों की चादर ओढ़ कर यह जिंदगी बहक सी जाती है,
जब साथ सबका होता है फिर याद उसकी क्यों आती है?
जब खुद ही तन्हा बैठकर खुद को ही समझाना पड़ता है,
तब कुछ याद भुलाने पढ़ते हैं कुछ दर्द छुपाना पड़ता है।



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12 SEP 2020 AT 12:39

बस यही सिलसिला अब मुसलसल चल रहा,
मेरा चश्मो चिराग अब तो शाम बनके ढल रहा,

इश्क ने क्या खूब तराशा एक नाचीज़ को, ए हमनवा,
उसके जाने के बाद एक पत्थर दिल भी पिघल रहा,

जिसके बिना नामुमकिन थी मेरी सुबह और ना शाम,
अब वो मेरे आबरू में रहकर भी मेरी आरजूओं में पल रहा।

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22 AUG 2020 AT 16:30

Ye gardishon ka alam
batana kab kam hua,
Ankhein nhi rhe.
ke tamasha khatam hua?

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