मेरी रातें हैं बदकिस्मत, मेरे दिन में बदहाली है।
मेरी पैहन भी कतरन है, मेरी हर जेब खाली है॥
मेरी ख़लवत से यारी है, मुझे ये दश्त भाता है,
मैंने नफ़रत को सींचा है, मैंने वहशत भी पाली है॥
मेरी खुशियों में झाँका तो, वो मंज़र देखकर रोए,
मेरी भूखी हैं ईदें सब, मेरी काली दिवाली है॥
हिदायत है यही मेरी, अगर कमज़ोर दिल हो तुम,
यहीं से लौट जाओ, जंग ये ताबूत वाली है॥
ये जो सब हो रहा है ये, नसीबे आम ना होगा,
यकीं मानो मेरी किस्मत नहीं इतनी भी खाली है॥
वो थोड़ा डर गया होगा, ये होना लाज़िमी भी है,
ख़ुदा के तख़्त पे मैंने, नज़र इस बार डाली है॥
तेरी दुनिया वजाहत की, कभी मुझको नहीं भाई,
तेरे होते हैं झुकते सर, तेरे मुड़ते ही गाली है॥
'ग़ज़ब' अपने अशारों का कोई हासिल ज़रा सोचो,
ये मजमा गैर अदबी है, बजानी सिर्फ ताली है॥
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