कुछ बातें निगाहों में क़ैद कर रखी है उनहोंने,
जिसे वो लबों पे आने नहीं देते,
वो लाख़ कोशिश कर लें छिपाने की,
मगर नज़रें हैं कि सब बयां कर देते,
ख़ामोशी को अपने लबों पे सजा कर,
वो समझते हैं कि ये जँहा ख़ामोश है,
मगर,
उनकी ये ग़लतफ़हमी भी हम,
अब पूरी नहीं होने देते...
- ©aRCHANA