20 JUL 2017 AT 21:38

स्त्री एक जीवन को जन्म देकर सृजन के चरम को छु लेती है। इतनी प्रगाढ़ रचना के बाद कुछ रचने को बचता नहीं। इसलिए स्त्री पूर्ण है, शान्त है, कविता है।पुरूष केवल अपनी कल्पना को चित्रफलक- कैनवास पर उतार सकता है पर कितना हीं सराहनीय क्यों न हो ये जीवंत नहीं हो सकता। जीवन न डाल सकने कि पिड़ा अहम को तोड़ता है ,इसलिए पुरूष अशांत है, विज्ञान है।

- अपूर्व – Apurva