ईमानदारी की राह पर चलते चलतेपहुँच गया हूँ बेईमान शहर मेंहर कदम पर ठोकर हूँ खातागिर जाता हूँ खुद की नज़र में - A.AG.
ईमानदारी की राह पर चलते चलतेपहुँच गया हूँ बेईमान शहर मेंहर कदम पर ठोकर हूँ खातागिर जाता हूँ खुद की नज़र में
- A.AG.