एक कछुआ था और एक खरगोश। दोनों दिल्ली की और दौड़े। खरगोश दौड़ दौड़ कर सी.एम.की कुर्सी तक पहुँच गया और थकान मिटाने लगा। कछुआ धीरे धीरे पी.एम. की कुर्सी तक पहुँच गया। दोनों में एक समानता थी, जनता को उल्लू बनाने की। - A.AG.
एक कछुआ था और एक खरगोश। दोनों दिल्ली की और दौड़े। खरगोश दौड़ दौड़ कर सी.एम.की कुर्सी तक पहुँच गया और थकान मिटाने लगा। कछुआ धीरे धीरे पी.एम. की कुर्सी तक पहुँच गया। दोनों में एक समानता थी, जनता को उल्लू बनाने की।
- A.AG.