Anurag Singh   (Anurag Singh)
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Founder "Aao Milkar karen Madad"(Organization)
Joined 19 February 2018


Founder "Aao Milkar karen Madad"(Organization)
Joined 19 February 2018
16 DEC 2023 AT 22:43

"जिंदगी में इतनी ठोकरें खाई हैं मैंने,
कि अब ठोकरें भी ठोकरें मारने लगी मुझे।।"
©@anurags091

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22 NOV 2023 AT 1:15

तूने साथ रहकर,
दिखाए थे, जो ख्वाब मुझे,

विश्वास से भरे उन ख्वाबों में,
प्यार ही प्यार था,

रहूंगा हमेशा संग, मैं तेरे,
ये तेरा ही मुझपर ऐतबार था,

मेरी सच्ची मोहब्बत से,
ना तुझे कभी इंकार था,

तेरी मुझसे झूठी मोहब्बत ही सही,
उस झूठी मोहब्बत से भी,
मुझे बेइंतहा प्यार था।।
@anurags091

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27 MAR 2023 AT 23:11

खुली आँखों में,
सैलाब भरकर,

नये ख्वाब,
लिख रहा हूँ मैं,

मैं क्या था,
और अब,
क्या बन रहा हूँ, मैं??
@anurags091

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24 JAN 2023 AT 21:10

तुम हो,
तो सबकुछ पास है,
ये जो तुम्हारे पास होने का,
अहसास है,
यकीं मानो बेहद खास है,
तुममें मैं हूँ,
मुझमें तुम हो,
यार इसी का नाम तो प्यार है,
तुम हो
तो सबकुछ पास है।।
@anurags091

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25 NOV 2022 AT 23:46

हर एक अमीर के घर,
कोई न कोई गरीब रहता है,
मखमली चादरों में नही,
वो खुले आसमान तले,
फटेहाल में सोता है,

हर अमीर के घर....

चाहे तो कर ले,
वो भी सुख से समझौता,
छोड़ दे दुनियादारी,
वो भी भोगे सुख को इकलौता,

जब हंसती है,
दुनियां खिलखिलाकर,
तब वो जमीं से,
चिपककर रोता है,
अपने लिये नही,
वो गैरों की खातिर,
अपना चैनों अमन खोता है,

हर एक अमीर के घर,
कोई न कोई गरीब रहता है।।
©@anurags091

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14 OCT 2022 AT 23:30

हमारा रिश्ता बेनाम था,

प्यार होकर भी,

उसमें ऐतबार न था,

हम तो अजनबी बनकर मिले थे,

क्या पता था??

एक दिन फिर ताउम्र एक-दूजे के लिये अजनबी बन जाएंगे!

हमारे दरमियाँ क्या था??

सिर्फ इतना था..

हम नदी के दो किनारों की तरह होकर भी एक साथ चल रहे थे।
©anurags091

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22 AUG 2022 AT 0:37

"तुम नूर हो,
यूँ बेनूर सी बनकर न रहो,

पहचानो खुद को,
यूँ अनजानी बनकर ना जियो,

राह तुम्हारी है,
इस राह पर मस्त होकर चलो,
उस राह पर भटकते हुए,
मुसाफिर बनकर न रहो,

तुम नूर हो,
यूँ बेनूर बनकर न रहो।।
©@anurags091

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19 JUL 2022 AT 11:55

तेरे नसीब में मैं हूँ, नही मालूम,
मेरे नसीब में तू है, ये मैं जानता हूँ,

मेरी तन्हाइयों में भी शामिल हो तुम,
मेरी खुशियों में भी शामिल हो तुम,

क्यों खफ़ा हो तुम मुझसे, नही मालूम,
मैं हमेशा तेरा ही हूँ... ये मैं जानता हूँ,

तेरी याद का समंदर बहता है, मुझमें,
मैं कैसे बताऊँ तुझको,

मेरी हर सांस के लिये जरूरी,
हो तुम मुझको,

तुम्हारे लिये क्या हूँ मैं, नही मालूम,
मेरा प्यार, मेरा अहसाह, मेरा सबकुछ हो तुम,
ये मैं जानता हूँ।।
©@anurags091

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22 JUN 2022 AT 23:44

"दिन तो अपने बिक चुके हैं,
बस पास बचीं काली रातें हैं,
तुमसे बातें तो सारी हो चुकी हैं,
बस मुलाकातें होना बाँकी हैं।।"
©@anurags091

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21 JUN 2022 AT 22:18

आज मान लिया,
तेरे प्यार को,
इसलिये तुझको को,
पढ़ना चाहता हूँ मैं,

साँसों में घोलकर,
तेरी चाहत की खुश्बू,
अब तुझमें ही सिमट,
जाना चाहता हूँ मैं।।
©@anurags091

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