ना हो विरह सीता-राम सी..
..ना राधा-कृष्ण सा त्याग हो..
प्रेम जब भी हो मेरा तुम्हारा..
..कुछ शिव-गौरी सा साथ हो...!
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I don't want to stay at home, I want to do something..!
I don't want to do this anymore, I want to stay at home..!!-
चलो अभी बहाना अच्छा है, हो सकता नहीं सफ़र..
मन को मना लिया तुम आ जाते, बुलाते हम अगर...!
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हाँ भई मैं नए ज़माने की लड़की हूँ,
पर मुझे कैफ़े से ज़्यादा कुल्हड़ की कॉफी भाती है..
और मन मचले तो पिज़्ज़ा के पहले समोसे की याद आती है...!
पुराने नगमों और ग़ज़लों में ही मुझे संगीत लुभाता है..
बैंड की आवाज़ छोड़ सितार की धुन पर पैर थिरक जाता है..!
अरे तेज़ रफ़्तार में स्कूटी तो मैं भी चलाती हूँ,
पर अक्सर कई मॉल छोड़ मंदिरों के सामने ठहर जाती हूँ..!
नहीं, पुराने दौर में जीने वाली नहीं हूँ मैं,
पर एक तरफ़ मैं और मेरा घाटों का सुकून होता है..
दूसरी तरफ़ लोगों का शहर घूमने का जुनून होता है..!
और हाँ मुझे अपने फोन से ज़्यादा इंसानों से प्यार है..
इसीलिए दोस्तों की कोई बड़ी फौज नहीं,मेरे बस कुछ ही यार हैं..!-
कहीं इश्क़ इस उल्फ़त का मुक़ाम ना हो,
बस इतनी ही है असास-ए-शिका़यत मेरी..
यूँ तो हैं ही बड़ी बेदर्द ये कुर्बतें भी रफीक़ ,
कुछ तुम्हारी नादानी और कुछ शरारत मेरी...
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कबतक देखोगे हर औरत को तुम पुरुष की नज़र से,
किसी में माँ, कहीं बहन, कहीं बेटी को खोजा तो करो..!
जिसे अपार दर्द देकर दुनिया में तुम्हारा आना हुआ,
उसकी कोख पर कलंक लगाने से पहले सोचा तो करो..!
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पिता में ईश्वर, पति परमेश्वर, और रक्षा भाई करेगा,
आखिर इस संस्कृति पर बना समाज कब तक चलेगा..
निंदा के भय से सीता को छोड़ा वो पुरुषोत्तम श्री राम थे,
और वो रासलीला करने वाले कृष्ण, विधाता के अवतार थे..
द्रौपदी को दांव पर लगाना, पांडवों का अधिकार था,
जो उसकी लाज रख ली, तो ये कृष्ण का उपकार था..
उसकी खुद की लाज का रक्षक किसी गैर को बना दिया,
हर पुरुष से कमज़ोर हो, तुमने स्त्री को ये तक जता दिया..
बहन के मान की रक्षा को भाई का दायित्व जो कहते हो,
तो क्यों नहीं तुम राम की जगह रावण की पूजा करते हो??
नारी की रक्षा का भार जो पुरुषों पर तुमने डाल दिया,
इसी बल के मद में पुरुषों ने नारी को अबला मान लिया..
मर्यादा का बोझ स्त्री पर, पुरुष आज़ाद घूमा करता है,
बाहर जाने कितनों की इज़्ज़त वो पैरों से रौंदा करता है..
पुरुषों के समाज ने इतना अनिष्ट किया ही ना होता,
नारी, काश तूने इन राक्षसों को जन्म दिया ही ना होता..-
मतलबी सारी दुनिया यारों, है बेगाना ये ज़माना..
लाख अपना लगे कोई, पर उससे दिल ना लगाना..!
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सच्चे दोस्त सबको चाहिए, पर बनना कोई नहीं चाहता..
हाँ जन्नत की चाहत सबको है, पर मरना कोई नहीं चाहता..!
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Restlessness is just a shell of my persona..
Its nucleus is the extremity of patience I hold...!
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