हंसते हंसते रो पड़े और फिर हंसे ये भी इक आदत,
बीते कल को याद कर तन्हा ही रोने की इक आदत,
एक आदत ग़म को सीने में छुपा बेफिक्र रहने की,
नगमों से होकर प्रभावित उलझने की भी इक आदत,-
कह दो तूफां से मेरा हौंसला सलामत है ।।
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इस फानी दुनियां में कुछ भी हो सकता है ।
होना नहीं चाहिये जो वो भी हो सकता है ।।
सृष्टि, व्योम, दिशा, पाताल बदल सकते है,
सूरज जल सकता है कुछ भी हो सकता है ।
जानना चाह रहे हो क्या कुछ हो सकता है,
सच कहता हूं होने को कुछ भी हो सकता है ।
मृत्यु झूंठ, सच जीस़्त, कबूतर हंस न हो,
गीदड़, बाघ हरा सकता है हो सकता है ।
गागर में सागर सच में भी हो सकता है ,
पर्वत विलीन झीलों में भी हो सकता है ।
सागर में आंगन हो सकता है बस तो फिर,
मानव में पशु का भाव भी तो हो सकता है ।
क्या हर विवाह खुशियों का ही हो सकता है,
जबरन कन्या का हांथ भी पीला हो सकता है।
क्या हर लेखक भाषा व्याकरण से वाकिफ हो,
जज्बातों को लिखने वाला भी कवि हो सकता है।
जब काॅपी किया छात्र टाॅपर हो सकता है,
तो काॅपी पेस्ट का शायर भी शायर हो सकता है ।
.......... अभी और भी है ।
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तुम्हें कैसे लगा की मैं फ़ोन नंबर भूल जाऊँगा
मुझे तो रोल नंबर भी तुम्हारा याद है अब-तक ।।-
सच है ये बात भी,
तेरे चेहरे से
मुसलसल गुलाब
की महक तो आती है ।
जरा अहसान कर,
मेरे कंधे को,
कुछ और देर
महक जाने दे ।।-
वो किधर गये हमें थपकी से सुलाने वाले,
बताओ उनको सूर्य आया रतजगा करके ।-
खुलकर करेंगे हम तो तेरे जुल्म की मुखालिफत ,
तू वक़्त का तख्तनशी है मेरे मुल्क का खुदा नहीं !!-
लगता है खुदा मुझे बुलाने वाला है
रोज़ मेरी झूठी कसमे खा रही है वो...-
हर एक चीज में
बेटी की पसंद पूछी जा रही थी
सिर्फ शादी
उसकी पसंद के खिलाफ की जा रही थी
😢😢-
सुकूं के पल कभी भी जिंदगी नहीं देती,
नसीब लम्हों में यारा सुकूं तलाशो ना ।।-
तुम्हें ख़याल नहीं किस तरह बताएँ तुम्हें
कि साँस चलती है लेकिन उदास चलती है-