जीवन में प्राप्त छोटी खुशियां बड़े लक्ष्यों की कुर्बानी ले लेती हैं
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don't get too close,I will turn you into poetry
F... read more
यह जो चल रहा है इम्तिहान मेरा
इसमें बिक गया है मकान मेरा
जो साया बनकर चलता था साथ मेरे
मुझ पर ही बंदूक ताने है दीवान मेरा
मुझे तश्खीस से इनकार करता है
मुझसे रूठा हुआ है भगवान मेरा
सूरत-ए-हाल से बेजार हूं मगर
मुफलिसी में नहीं डगमगाया ईमान मेरा
कुछ दिनों में सजाया जाऊंगा मैं
तैयार हो रहा है श्मशान मेरा-
अच्छा नहीं है यूं बवाल करना
अगली दफा खुद से सवाल करना
जो हो गया उस पर क्या मलाल करना
चलो कल कुछ नया कमाल करना
माना कि उसने छोड़ा है तर्क-ए-रस्म-ओ-राह में
मगर यूं अच्छा नही किसी गैर को बेकरार करना
मै जब मिलूं तो मोहब्बत को अबरार करना
मैं तुम्हे देखूँगा तुम मुझे प्यार करना-
जब राते गम की चादर ओढ़ लेती हैं
मुकम्मल खुशियां भी मुंह मोड़ लेती हैं-
तुम! किसी ख़्वाब कि मल्लिका सी
सरल, होंठों पर मुस्कान लिए
जहां कि पहुंच से परे
मृग सी चंचल, कोमल
पुष्प सी.....
तुम्हे सिर्फ लड़की कहना
अनुचित होगा!!
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दरिया बड़ा है फिर मुझे कश्ती भी बनानी है
तुम जाओ दोस्त अपनी कहां बन पानी है
मै बेइन्तहां सआदगी पसंद इंसा हूं
फिर अपनी सूरत भी कहां लुभानी है-
सुनसान रस्ते पर वीरां मकान सी लगती है
ए जिन्दगी तु बडी बेजान सी लगती है
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जो था, वो था, अब रहा नहीं
बस इसीलिए
मैं ख़ामोश रहा, कुछ कहा नहीं
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जाते हुए उसने पीछे मुड़कर भी नही देखा
मेरे दिल को अब भी यही लगता है, उसे मुझसे मुहब्बत थी-