Anshuman Pandey   (Pandey"आवारा")
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Joined 17 October 2017


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31 MAY 2023 AT 20:08

तेरी नाराज़गी को क्या तवज्जो दूँ,
और भी ग़म हैं जमाने में।
कब तक रहोगे यूँ होंठों को सिये,
क्या अल्फ़ाज़ों को भी बंदिशें है बाहर आने में।
कुछ अधूरा सा है , कुछ धुंधला सा है ,
क्यूँ कुछ रोक सा रहा तुमको अपना बनाने में।
ख़ामोश नज़रें बयाँ कर देती है सारे जज़्बात,
कुछ भी नहीं रखा यूँ राज छिपाने में ।
समझ लूँगा हाल ए दिल,बोल के तो देखो
खामखाँ वक़्त बर्बाद करते हो शरमाने में।
फ़ुज़ूल की बातों में जाया करते हो वक़्त ,
कोशिश तो करो मसला समझाने में।
कुछ तो खता है ही तुम्हारी,
वरना रुख़ ए रौशन होते हमारे आशियाने में।
तेरी नाराज़गी को क्या तवज्जो दूँ,
और भी ग़म हैं जमाने में।

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25 MAY 2023 AT 0:49

हिसाबों के दौर चल रहे थे,
पिछले सारे हिसाब याद आये।
कुछ तो बात थी तुम में,
के तुम बहुत बे हिसाब याद आये।
सम्भाल के रखे थे कई राज़, दिल ए दरिया में
कुछ तो लाज़मी थे याद आने ,बाक़ी बे फिज़ूल याद आये।
ग़म ए उल्फत में, किनारा कर लिया था जो तुमने
सैलाब ए ग़म की हर कश्ती पर, सवार हम आये ।
क़िस्से थे कई सारे ,लेकिन कुछ ख़ास ही याद आये।
तुम्हारे इश्क़ में ख़ुद को फ़ना करने के जज़्बात याद आये
मेरा इश्क़ ना हुआ मुकम्मल ,कोई ग़म नहीं
लेकिन ख़ुदा तुझको बे इम्तहां ख़ुशी अता फ़रमाये
ज़िंदगी की तपिश में,तुम याद बेपनाह आये।
हिसाबों के दौर चल रहे थे,
पिछले सारे हिसाब याद आये।
कुछ तो बात थी तुम में,
के तुम बेहिसाब याद आये।

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5 SEP 2021 AT 23:59

गुरु से बड़ा ना कोई पद है और ना कोई मान।
गुरु की महिमा के आगे हैं सब के सब नादान।
गुरु पढ़ाते, देश बनाते और देते हैं ज्ञान ।
हम सब बच्चों को करना है, गुरुओं का सम्मान।

गुरु की बातें सदा ही रखना जीवन भर तुम याद ।
साथ तुम्हारे सदा रहेगा, गुरु का आशीर्वाद।
गुरु सिखलाते और बनाते, जीवन को आदर्श।
नयी नयी बातों को भरते, तुम में वो प्रतिवर्ष।

गुरु ब्रह्म है, गुरु देव है , गुरु ज्ञान के दीपक हैं।
हम गुरुओं की बात मानते, उनके सच्चे पूरक हैं।
गुरु-दीपक आभा से हमको, दूर अंधेरा करना है ।
नित प्रतिदिन हमको अपनी मेधा का वर्धन करना है।

कृपा हमेशा रहे गुरु की , यही कामना करते हैं ।
शीश झुका कर प्रतिदिन हम उनका अभिनंदन करते हैं।
आज दिवस है शिक्षक का, हम जिनका वंदन करते हैं ।
दिवस आज का भव्य मनाकर, गुरु का पूजन करते हैं ।

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5 JUN 2021 AT 22:19

फ़िज़ाओं में है बेहोशी, है जाने कौन सा मसला।
हमारे दिल में खामोशी, सभी का हाल है बदला।।

हवा भी आजकल यारों, महँगी हो गयी काफ़ी।
दवाओं से भी अब जैसे , लगी होने हो गुस्ताखी।।

चढ़ी है सिर खुमारी जिनके कुछ,बस चंद पैसों की।
मशगूल हैं जो डाके में, चल रही लूट पैसों की।।

आवारा सोंचता है क्या कहे, अब ऐसे लोगों को।
आपदा में भी अवसर ढूँढ लेते ऐसे चोरों को।।

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10 APR 2020 AT 23:25

जीवन तेरे नाम किया,
पर क्रोध तेरा ये है कैसा।
मैं सब कुछ अपना हार चुका,
पर लोभ तेरा ये है कैसा।

जीने की अब कोई चाह नहीं,
पर मोह तेरा ये है कैसा।
तू खुल के इक बार बोल सही,
पर मौन तेरा ये है कैसा।

तू समझ ना पायी चाहत को,
दोष मेरा ये है कैसा।
दुश्मन से ज़्यादा आहत हूँ,
रोष तेरा ये है कैसा।

जो मुझको मरने भी ना दे,
प्रतिशोध तेरा ये है कैसा।
तिल तिल मुझे मारने का,
अब शोध तेरा ये है कैसा।

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9 APR 2020 AT 7:31

पत्ती डाली और ये फूल।
इनके साथ अनेको शूल।
मिल के सृजन करें एक वृक्ष।
फूले फले धरा आकृष्ट।

पहले मूल जन्म को पाती।
फिर उसमें पत्ती है आती।
फिर फ़ूलों की बारी आती।
तब जाके सुंदरता आती।

दर्शन ज्ञान कराती पत्ती।
एकजुटता दर्शाती पत्ती
शिव वंदन में बेल की पत्ती।
पूजन पूर्ण कराती पत्ती।

पत्ती की है बहुत महत्ता।
पूर्ण वृक्ष पर इसकी सत्ता।
चाहे हो वो तेज़ का पत्ता।
या फिर हो वो केला पत्ता।

नित नए सृजन का पाठ पढ़ाती।
सबको कुछ दे कर ही जाती।
समरसता भी ये सिखलाती।
मन पुलकित कर के हर्षाती।

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7 APR 2020 AT 23:32

जो जगत के परम पालक, जिन्हें पूजते इंसान हैं।
वो हैं ईश्वर, वो कृपानिधि और वो भगवान हैं।।
इस सकल संसार की, जो दिव्यदृष्टि महान हैं।
हैं वो ब्रह्मा, हैं वो शंकर, विष्णु हैं, हनुमान हैं।।
वो अजर हैं और अमर हैं, प्रति जीव की वो जान हैं।
वो हैं ईश्वर, वो कृपानिधि और वो भगवान हैं।।

युग युगों से बढ़ रहा जो, धरा का विज्ञान है।
कुछ नहीं है वो अपितु, भगवान का ही दान है।।
सुख भी देता, दुःख भी देता, देता वो सम्मान है।
हर क्षण बदलती स्थिति की, भी वही पहचान है।।
हर निलायम में जिन्हें, पूजते इंसान हैं।
वो हैं ईश्वर, वो कृपानिधि और वो भगवान हैं।।

अंश है, जिसका सभी में, जिसका दिया सब मान है।
भक्त जिसके धनी-निर्धन, सभी एक समान हैं।।
जिनकी कृपा से दूर होता, व्यक्ति का अज्ञान है।
आशीष से जिनके हुआ, मूढ़ भी विद्वान है।
वही अटल हैं, वही सत्य हैं, शक्ति की पहचान हैं।
वो हैं ईश्वर, वो कृपानिधि और वो भगवान हैं।।

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6 APR 2020 AT 23:43

मानव हित के कार्य सभी।
हुए नहीं हैं पूर्ण अभी।।
विज्ञान, तकनीक और चिकित्सा।
आगे रखें राष्ट्र हमेशा।।
शोध ना इन पर रुकने पाये।
राष्ट्र प्रगति ना थमने पाये।।

इक क्षण का ये कार्य नहीं।
किंचित ये आसान नहीं।।
आलस को दूर भगाना है।
निज लक्ष्यों को अब पाना है।।
कर्म सुधा बरसा लो तुम।
कर कार्य पूर्ण हर्षा लो तुम।।

कभी हार ना मानो तुम।
किये रहो बस कर्म सभी।।
कार्य पूर्ण होते हैं श्रम से।
श्रम ना जाता व्यर्थ कभी।।
साकार हुए जो सारे सपने।
जीवन का है अर्थ तभी।।

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4 APR 2020 AT 14:25

यादों का एक पुलिंदा है।
कहीं उड़ ना जाये याद तेरी,
मदमस्त वो एक परिंदा हैं।

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4 APR 2020 AT 11:43

आलस से जो जीत ले दुनिया,
ऐसा कोई मानस नहीं।

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