Eyes #1अश्क़ अश्क़ उबलें जो, ख़ामियाँ उभरती हैं,पलकों को झपका कर, हामियाँ ये भरती हैं,भौहों को उचका कर, ये कमाल करती हैं,दिखें जो अचानक फिर, ये सवाल करती हैं, - अंशुल नागोरी
Eyes #1अश्क़ अश्क़ उबलें जो, ख़ामियाँ उभरती हैं,पलकों को झपका कर, हामियाँ ये भरती हैं,भौहों को उचका कर, ये कमाल करती हैं,दिखें जो अचानक फिर, ये सवाल करती हैं,
- अंशुल नागोरी