Ansh Prajapati   (मौहब्बत ज़िंदा है !)
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Age 24,
मै नही मेरी कलम बोलती है, कागज़ पर हर लफज़ बराबर तोलती है..!!
Joined 20 November 2017


Age 24,
मै नही मेरी कलम बोलती है, कागज़ पर हर लफज़ बराबर तोलती है..!!
Joined 20 November 2017
29 MAR AT 0:13

तेरी आंखों मे खुद के जवाब ढूंढता हूं
इन शब के अंधेरों मे ख्वाब ढूंढता हूं
जो मिलता नही अब इन दिल की गलियों मे
मै वही मासूमियत और सवाब ढूंढता हूं.!!

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15 DEC 2023 AT 0:30

तेरे ग़म के अंधेरों को रोशनी से मिटा देंगे
तू मुस्करा तो सही आसमां से चांद को हटा देंगे
तू इश्क तो हमसे बेहिसाब करके देख
हम मोहब्बतों से दूरीया ही मिटा देंगे..!!

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11 SEP 2023 AT 0:44

तेरी यादो के सिवा कौन ही मिलता हैं मुझसे
तन्हाई भी अब रुठ जाने लगी है
मैं छुपालू इश़्क चाहे जितना भी
मेरी आँखे सच्चाई बताने लगी है.!!

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18 JUL 2023 AT 23:10

सूख गई है श्याह कलम से तो क्या लिखना छोड़ दूँ
तुम नहीं जिंदगी मे तो क्या जीना छोड़ दूँ
अरे हो गए होंगे चाहे सारे बंद मयखाने
तो मौहब्बत के रस को क्या पीना छोड़ दूँ.!!

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20 OCT 2022 AT 21:39

आँखो मे नम और गहरी याद छोड़ गया
वो बेवफा इश़्क की अधुरी बात छोड़ गया
मैं पूरी करता उससे पहले ही वो बेपरवाह
जागने को दर्द की लंबी एक रात छोड़ गया.!!

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20 OCT 2022 AT 21:23

अंधेरे को छोड़ रौशनी कहा जाएगी,
बिन अंधेरे रौशनी का वजूद भी तो नहीं.!!

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2 MAY 2022 AT 21:06

चाँद को चाँद से मिलाने का दिन है
मेरे सजदो का हक पाने का दिन है
बरसेगी रहमते खुदा के घर से
आज मौहब्बते लुटाने का दिन है
नफरत के अंधेरों से डर नहीं लगता
आज शब ए गुलज़ार नूरानी का दिन है
छोड़ मज़हबी कट्टरता को किनारे कर
आज ईद उल फितर मनाने का दिन है.!!

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2 MAY 2022 AT 18:41

बादलों को चांद का होना था
नदियों को सागर का होना था
यकीन मानो तुम मेरा सनम
इस दिल को तेरा ही होना था.!!

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1 MAY 2022 AT 23:50

खुद के हाथो मे औज़ार लिए मैं तुझको क़लम थमाता हूं
तुम हुकम चला सको मुझपर मैं तुमको बड़ा बनाता हूं
कुछ शिक्षा से हालात हैं करते कुछ तुम जैसे लोग दुर हमे
तुम कह सको खुद को साहिब मै खुद मज़दूर बताता हूं
खुद के पास ना घर हो फिर भी सबका आशियान बनाता हूं
तुम कमा सको लाखो इस लिए मैं थोड़ा सा ही कमाता हूं
मैं ही हूं जो पत्थर से भी तराश के हीरा बनाता हूं
मै ही हूं जो आज के दिन भी एक छुट्टी नहीं ले पाता हूं
इन लोहे जैसे हाथो से लोहे को मार पिघलाता हुं
इसी मजबूती के लिए मैं खुद को मजदूर कहलाता हूं.!!

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30 APR 2022 AT 10:02

अंधे की निगाह हो के देख
गूंगे की ज़ुबान हो के देख
दर्द समझना है तुझको
तो इश़्क में फ़ना हो के देख
धूप में पांव जला के देख
बरसात में खुद को भीगा के देख
जिम्मेदारी समझनी है तुझको
तो पिता के कंधो का ज़िम्मा उठा के देख
इंतजार में भूखा सो के देख
खुशी के आंसू रो के देख
प्यार समझना है तुझको
तो एक मां के जैसा हो के देख
रास्तों में खो के देख
सफर का तू हो के देख
जिंदगी समझनी है तुझको
तो मंजिलों का तू हो के देख.!!

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