जिस्मों की हदों तक जाकर बदल जाते है,लोग जन्नत के दर से वापस लौट आते है। - अंकुश तिवारी
जिस्मों की हदों तक जाकर बदल जाते है,लोग जन्नत के दर से वापस लौट आते है।
- अंकुश तिवारी