आओ बैठो मेरे पास में ,कुछ बात करते हैं।
अबकी आँखों से गुफ्तगू को साज़ करते हैं
तुम छेड़ना कोई राग अपनी मुस्कान से
झुकती आँखों से नए अंदाज़ लिखते हैं
यूँ क्या रखा है रोज़ रोज़ इश्क़ फरमाने मे
दूर बैठकर नोकझोक से शुरुआत करते हैं
यूँ तो बहुत सुकून मिलता है तेरे पास आने में
दूर होकर अबकी बेचैनियों को आज़ाद करते हैं।
आओ बैठो मेरे पास में ,कुछ बात करते हैं।
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